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बंदे में है दम

126 साल का युवा योगी

एक ऐसी शख़्सियत जिसके बारे में सुन कर हर कोई हैरान रह जा रहा है। उनकी उम्र, उनकी तपस्या, उनकी समर्पण जान कर लोग दांतों तले उंगलियां दबा ले रहे हैं। हम बात कर रहे हैं योग गुरू स्वामी शिवानंद की, जिन्हें 126 साल की उम्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

बांग्लादेश से वाराणसी तक का सफ़र

वाराणसी में दुर्गाकुंड के कबीरनगर में एक पुरानी सी इमारत है। इसी इमारत के दूसरे माले के एक फ्लैट में रहते हैं स्वामी शिवानंद। यही उनका घर है, यही आश्रम। इसी घर में एक छोटा सा मंदिर है जहां एक शिवलिंग स्थापित है।

स्वामी शिवानंद बताते हैं कि उनका जन्म 8 अगस्त 1896 को तब बंगाल और अब के बांग्लादेश में हुआ था। बचपन में ही माता-पिता और बहन का देहांत हो गया था। छोटे थे इसलिए अपने माता-पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने की हिम्मत नहीं जुटा पाए तो चरणाग्नि दी। इसके बाद वो गुरू ओंकारानंद के साथ रहने लगे। बड़े हुए तो कोलकाता पहुंचे। एल्गिन रोड पर रहने के दौरान वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संपर्क में भी आए। शिवानंद तब तक अपने गुरू से योग की शिक्षा हासिल कर चुके थे। गुरू के कहने पर वो 1925 में लंदन चले गए और वहीं योग सिखाने लगे। 34 साल तक वो विदेश में ही योग की शिक्षा देते रहे। जब भारत लौटे तो देश को आज़ाद हुए क़रीब 10 साल हो चुके थे। भारत आने के बाद वो लगातार देश भ्रमण करते रहे। साल 2014 में वो काशी में बस गए।

126 साल की उम्र और शरीर तंदुरुस्त

इस साल स्वामी शिवानंद को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं बल्कि हर एक शख़्स उन्हें देखकर चौंक गया था। इस उम्र में वो जिस तेज़ी के साथ चले, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के सामने दंडवत हो गए उसे देकर लोग दंग रह गए।

स्वामी शिवानंद जैसे मौत को मात दे रहे हैं। 126 साल की उम्र के हिसाब से उनका शरीर काफ़ी तंदुरुस्त है और इसके पीछे उनकी जीवनशैली है।

जीवनशैली ने दी लंबी उम्र

स्वामी शिवानंद बेहद सादा और अनुशासित जीवन जीते हैं। वे उबला हुआ भोजन करते हैं और चटाई पर ही सोते हैं। ना उन्हें ठंड में गर्म हवा के लिए ब्लोअर की ज़रूरत पड़ती है और ना ही गर्मी में एसी की। इस उम्र में भी योग करना उन्होंने छोड़ा नहीं है। रोज़ाना 3 बजे उठना और भागवद् गीता का पाठ भी उनकी जीवनशैली का हिस्सा है। स्वामी शिवानंद ने कभी दवाइयां नहीं खाई। कभी वो बीमार नहीं पड़े। बताया जाता है कि साल 2019 में कोलकाता के एक अस्पताल में उनकी लंबी-चौड़ी जांच की गई जिसमें वो पूरी तरह से स्वस्थ्य पाए गए।

सर्वांगासन और प्राकृतिक दवाएं

स्वामी शिवानंद कई तरह के योग करते हैं लेकिन सर्वांगासन उनमें सबसे अहम है। वो बताते हैं कि इस आसन से शरीर की कई परेशानियां दूर हो जाती हैं। स्वामी घर की रसोई को सबसे बड़ा मेडिकल स्टोर मानते हैं। वो रोज़ाना कच्ची हल्दी चबाते हैं, अदरक, धनिया, काली मिर्च, तेजपत्ते और लौंग का काढ़ा पीते हैं और यही उनके शरीर को स्वस्थ्य रखता है।

हर किसी के लिए प्रेरणा हैं स्वामी शिवानंद

स्वामी शिवानंद की जीवन शैली, खान-पान ही नहीं बल्कि पूरा जीवन ही हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत है। वो ना केवल योग साधक हैं बल्कि समाज के उद्धार के लिए और भी बहुत सारे काम कर रहे हैं।

इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की ओर से स्वामी शिवानंद और उनकी साधना को प्रणाम।