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हारी बाज़ी जीतने का हुनर

जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है लेकिन कभी-कभी ये संघर्ष अंतहीन सा लगने लगता है। मुश्किलों और परेशानियों का दौर घटने के बजाए बढ़ने लगता है, लेकिन जीतता वही है जो लड़ता रहे और आगे बढ़ता रहे। दिल्ली की रहने वाली निधि दीवान की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। ज़िंदगी के तमाम झंझावातों से लड़कर निधि आगे बढ़ रही हैं। आज वो अपनी सास के साथ मिलकर कारोबार चला रही हैं।

सास-बहू वेंचर

सास-बहू वेंचर, है ना बड़ा अलग सा नाम। यहां सास-बहू की साज़िशें नहीं होती, प्यार बरसता है, साथ और सहारा मिलता है। निधि और उनकी बुज़ुर्ग सास संघर्ष की साथी हैं। मई 2020 में जब देश में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा था तब निधि ने अपनी सास के साथ मिलकर मसालों का काम शुरू किया था लेकिन इस वेंचर की शुरुआत हुई क़रीब 1 साल बाद 2021 में। निधि की सास को मसालों की अच्छी जानकारी थी। मुश्किलों के दौर से लड़ने के लिए निधि ने अपनी बुज़ुर्ग सास से मदद मांगी और फ़िर शुरुआत हुई सास-बहू वेंचर की। मसाले बनाने के काम की शुरुआत हुई घर की पुरानी मिक्सी से लेकिन निधि को लगा कि इससे बात नहीं बनेगी। फ़िर उन्होंने एक बड़ी मिक्सी ली और अब वो मशीन में मसाले पीस रही हैं। निधि मसालों के सबसे बड़े बाज़ार खारी-बावली से अच्छी किस्म के खड़े मसाले लाती हैं। उन्हें अच्छे से साफ़ कर, सुखा कर रोस्ट करती हैं। इसके बाद इन मसालों को मशीन में पीसा जाता है। मसालों की पैकिंग का काम निधि ख़ुद करती हैं।

आमदनी का ज़रिया बने मसाले

निधि को मसालों का काम शुरू करने में क़रीब 40 हज़ार रुपयों का ख़र्च आया। शुरुआत में तो थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन सास-बहू ने अपनी हिम्मत और जज़्बे से इस काम को ना केवल आगे बढ़ाया बल्कि अपनी पहचान भी बना ली। सास-बहू वेंचर के मसाले आपको बाज़ार में नहीं मिलेंगे। निधि इन्हें सोशल मीडिया के ज़रिये बेचा करती हैं। इसके अलावा तीन-चार महिलाएं उनके साथ जुड़ी हैं जो इन मसालों को घर-घर बेचा करती हैं। निधि के मसाले इस्तेमाल करने वालों ने भी इसे आगे बढ़ाया है।

ख़ुशियों से भरी ज़िंदगी में ग़म का तूफ़ान

केवल 5 साल पहले की बात है। निधि दीवान का परिवार एक अच्छा-ख़ासा, संपन्न परिवार था। पति का जमा-जमाया बिजनेस था। आलीशान घर था, आलीशान गाड़ी थी, नौकर-चाकर थे। लेकिन किस्मत ने ऐसी पलटी खाई कि सब बिखर गया। 2018 में दिवाली की रात निधि हादसे का शिकार हो गईं। दीये से उनके कपड़ों में आग लग गई और वो बुरी तरह झुलस गईं। कई ऑपरेशन और लंबे इलाज ने उनकी जान तो बचा ली लेकिन तकलीफ़ उम्र भर की हो गई। हादसे के बाद किसी तरह परिवार संभला तो मुसीबत का दूसरा पहाड़ गिर पड़ा। निधि के इलाज में दिन-रात जुटे रहने की वजह से उनके पति बिजनेस पर ध्यान नहीं दे पाए। इससे उन्हें कारोबार में बहुत बड़ा घाटा हो गया। हालत ये हो गई कि उन्हें अपना तीन मंजिला घर तक बेचना पड़ गया। वो एक शानदार घर से किराये के घर में आ गए। इसके तुरंत बाद उनके ससुर का देहांत हो गया।

पति के क़दम से मिलाया क़दम

लगातार बिगड़ती स्थिति से उनके पति परेशान रहने लगे। कारोबार के नुकसान उन्हें खाए जा रहा था। निधि ने इस हालात में क़दम आगे बढ़ाया। साल 2020 की बात है। कोरोना ने देश में दस्तक दे दी। जब लॉक़डाउन खुला तो निधि ने कोविड पेशेंट के लिए टिफ़िन सर्विस शुरू कर दी। मार्च 2021 में वो अपने पति के कारोबार में भी हाथ बंटाने लगी। वो कंपनी का अकाउंट संभाल रही थीं। लेकिन यहां भी किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। जून 2021 में निधि के पति की तबीयत बहुत बिगड़ गई। इलाज के दौरान पता चला कि उन्हें जॉइंडिस हो गया। इलाज चल रही रहा था कि एक हफ़्ते में ही उनकी हालत बिगड़ गई और वो भी निधि का साथ छोड़ कर चल बसे। अब पूरा परिवार जैसे बिखर चुका था। घर में निधि, उनकी बुज़ुर्ग सास और दो बच्चे थे।

सास-बहू ने थामा हाथ

पति के गुजरने के बाद घर से लेकर बिजनेस तक की सारी ज़िम्मेदारी निधि के कंधों पर आ टिकी थी। निधि ने पति का होम सिक्योरिटी का बिज़नेस संभाल लिया। लेकिन बिज़नेस इस स्थिति में नहीं था कि उससे बिल्कुल ख़राब हो चुकी स्थिति को ठीक किया जा सके। इसके बाद निधि ने ऑनलाइन जूलरी और गिफ़्ट आइटम का काम शुरू किया। इसी बीच निधि को लगा कि अपने मसालों के काम को भी फ़िर से शुरू किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी सास की मदद चाहिए थी। पहले अपने पति और फ़िर बेटे को खो चुकी बुज़ुर्ग सास ने ना केवल निधि का साथ दिया बल्कि उसे संभाल भी लिया।

रिश्तों को अहमियत देने की गुज़ारिश

निधि दीवान अपने बीते दिनों को याद कर भावुक हो जाती हैं। वो कहती हैं कि लोगों को धन-दौलत नहीं अपने रिश्तों की क़द्र करनी चाहिए। बुरे वक़्त में पैसा तो चला जाता है लेकिन रिश्ते हमेशा काम आते हैं। आज निधि और उनकी बुज़ुर्ग सास की मेहनत से उनकी स्थिति पहले से काफ़ी ठीक हुई है। उन्हें उम्मीद है कि लोग उनके सास-बहू वेंचर को ना केवल पसंद करेंगे बल्कि आगे भी बढ़ाएंगे। निधि और उनकी सास के हौसला और जज़्बा हमें भी मुश्किल से मुश्किल दौर से लड़ने का साहस देता है। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट निधि और उनकी सास के इस संघर्ष को सलाम करता है।