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बंदे में है दम

मुश्किलों में तप कर बनी ‘अफ़रोज़’

कहते हैं आग में तप कर ही सोना कुंदन बनता है। ठीक ऐसे ही मुश्किलों और संघर्षों से लड़ कर वो इल्मा से ‘अफ़रोज़’ बन गईं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट उसी इल्मा अफ़रोज़ की कहानी लेकर आया है जो एक मिसाल बन चुकी हैं। वो मुश्किलों की चुनौती पार कर अपना मक़ाम बनाने की ऐसी दास्तां हैं जो अनगिनत लोगों को प्रेरणा देती रहेगी।

जज़्बे से भरी दास्तां

इल्मा अफ़रोज़ 2017 बैच की UPSC पासआउट हैं। यूपी के मुरादाबाद के छोटे से कस्बे कुंदरकी में जन्मी इल्मा का परिवार ख़ुशहाल था। सबकुछ अच्छे से चल रहा था लेकिन अचानक पिता का निधन हो गया। इसके बाद से शुरू हुआ मुश्किलों का सिलसिला। उस समय इल्मा केवल 14 वर्ष की थी। भाई उनसे दो साल छोटा था। घर की माली हालत बिगड़ गई। घर की सारी ज़िम्मेदारी अब उनकी मां के कंधों पर आ गई। उनकी मां के लिए भी ये सब आसान नहीं था लेकिन उन्होंने कभी हौसला नहीं हारा।

एक तरफ़ उन्होंने घर को अच्छे से संभाला तो दूसरी तरफ़ अपने बेटे के साथ-साथ बेटी को भी अच्छी शिक्षा दी। मां ने हमेशा उनका साथ दिया लेकिन बेटी को पढ़ाने के फ़ैसले पर उन्हें समाज से टक्कर भी लेनी पड़ी। लोग अक्सर बेटी को पढ़ाने के फ़ैसले को पैसे की बर्बादी बताया करते थे लेकिन उनकी मां डटी रहीं। इल्मा ने भी अपनी मां के संघर्ष को कभी कमज़ोर नहीं होने दिया। वो पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं। इसके साथ ही वो घर और खेत के कामकाज में अपनी मां की मदद भी किया करती थीं। पढ़ाई में अच्छी इल्मा को जल्द ही स्कॉलरशिप मिलने लगी। उनकी पूरी उच्च शिक्षा स्कॉलरशिप से ही हुई।

मुरादाबाद से अमेरिका वाया दिल्ली

आगे की पढ़ाई के लिए इल्मा दिल्ली आ गईं। प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कॉलेज में उनका एडमिशन हो गया। यहां से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्हें अमेरिका के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिल गई। वो वक़्त भी था जब इल्मा के पास विदेश जाने के लिए पैसे नहीं थे। तब उनके गांव के चौधरी दादा ने उनकी मदद की थी। इल्मा दिल्ली से अमेरिका पहुंच गईं। यहां पढ़ाई के लिए तो उन्हें स्कॉरशिप मिल गई थी लेकिन बाक़ी के ख़र्चे के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाने का काम करना शुरू कर दिया।

पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्हें अमेरिका में ही अच्छी नौकरी का ऑफ़र मिला लेकिन इल्मा की मंज़िल तो कुछ और थी। अपने पिता की सीख और मां के सपनों के लिए इल्मा वतन लौट आईं।

UPSC की परीक्षा पास कर बनीं IPS

हिंदुस्तान लौटने के बाद इल्मा ने सिविल सर्विसेज़ की तैयारी का फ़ैसला किया। इस बार भी उनकी मां और उनके भाई ने उनका साथ दिया, उनका हौसला बढ़ाया। एक बार फ़िर इल्मा ने अपनी मेहनत के दम पर कामयाबी हासिल की। उन्होंने साल 2017 में UPSC की परीक्षा पास कर ली। उन्हें देश भर में 217वीं रैंक हासिल हुई। उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा को चुन कर जनता के बीच रह कर काम करने का फ़ैसला किया। ख़ुद को एक किसान की बेटी बताने वाली इल्मा आज शिमला में एसपी एसडीआरएफ हैं।

इल्मा की ये कहानी देश की हर बेटी के लिए एक उम्मीद है कि मुश्किलें कितनी भी राह में आए, हौसलों के आगे वो कहीं टिकती नहीं हैं। ज़रूरत बस चलते जाने की है।