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बंदे में है दम

आस्था और समाजसेवा का संगम

हिंदू मान्यताओं के अनुसार महादेव शिव को जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और रुद्राभिषेक करने का बहुत महत्व है। इसलिए श्रद्धालु शिवालयों में जा कर बाबा का अभिषेक करते हैं। ख़ासकर सावन के महीने में इसमें काफ़ी इज़ाफ़ा हो जाता है। लोग शिवलिंग पर दूध अर्पित करते हैं। श्रद्धा और आस्था के साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला दूध नालियों में बह कर बर्बाद हो जाता है। इस बर्बादी को एक सकारात्मक दिशा दी है गुजरात के एक शख़्स ने।

नाम है ओनली इंडियन

गुजरात के जूनागढ़ में आपको रोज़ाना एक बुज़ुर्ग साइकिल पर दूध ले जाते नज़र आ जाएंगे। ये बुज़ुर्ग शहर के अलग-अलग मंदिरों से दूध इकट्ठा कर ग़रीब बस्तियों में बांटते हैं। ये बुज़ुर्ग अपना नाम नहीं बताते। भारत को जाति-धर्म के बंधन से मुक्त करने का संदेश देने वाले इन बुज़ुर्ग ने अपना नाम ओनली इंडियन रखा है।

ओनली इंडियन का अनूठा मिशन

जूनागढ़ के ही रहने वाले ओनली इंडियन को मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले दूध को बर्बाद होते देख बड़ा दुख होता था। उन्हें लगता था कि इस भगवान पर चढ़ाने के साथ-साथ इस दूध का और भी सदुपयोग किया जा सकता है। साल 2013 में उन्होंने इंडियन मिल्क बैंक की स्थापना की और फ़िर अपने अनूठे मिशन में जुट गए। उन्होंने शहर के अलग-अलग शिवालयों में दूध के कंटेनर रखने शुरू कर दिये। वो किसी से कुछ बोलते नहीं थे। बस कंटेनर पर संदेश लिखा होता था कि भगवान शिव पर थोड़ा दूध चढ़ाकर बचे दूध को कंटेनर में डाल दें। धीरे-धीरे लोगों ने उनकी इस मुहीम में साथ देना शुरू किया और कंटेनर में अच्छा ख़ासा दूध जमा होने लगा। आम दिनों में एक मंदिर से उन्हें 5-6 लीटर और सावन के महीने में क़रीब 40 लीटर दूध तक मिलने लगा।

ज़रूरतमंदों तक पहुंचाया शिवालयों का दूध

शिवालयों में जमा हुए दूध को वो अपने घर ले जाते हैं। उस दूध को उबाल कर उसमें चीनी मिलाते हैं और फ़िर कंटेनर में भर कर शहर की उन बस्तियों की तरफ़ चल पड़ते हैं जहां समाज के निचले पायदान पर रहने वाले लोग रहा करते हैं। वो लोग जिन्हें पीने का साफ़ पानी तक नहीं मिल पाता। जो अभावग्रस्त ज़िंदगी जी रहे हैं। ओनली इंडियन अपनी साइकिल पर दूध लेकर उन बस्तियों में पहुंचते हैं। वहां ग़रीब बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्गों को वो गिलास में दूध भर कर बांटते हैं। ऐसा कोई दिन नहीं होता जब ओनली इंडियन इन बस्तियों में दूध बांटने नहीं पहुंचते। बस्ती के लोग उनकी राह देखते रहते हैं। उनकी साइकिल की घंटी सुनते ही बच्चे उनकी तरफ़ दौड़ पड़ते हैं। ओनली इंडियन को देखते ही इन बस्तियों के लोगों के चेहरे खिल उठते हैं।

कंकर-कंकर शंकर

कहते हैं भगवान महादेव कंकर-कंकर में बसते हैं। बच्चों को तो वैसे भी भगवान का स्वरूप माना जाता है। ओलनी इंडियन भी आस्था और भक्ति के ख़िलाफ़ नहीं हैं। उनके मुताबिक लोगों को अपने आराध्य की पूजा ज़रूर करनी चाहिए। शिवलिंग पर दूध भी चढ़ाने से वो किसी को मना नहीं करते। उनकी बस यही सोच है कि उस दूध को हर हाल मे ज़रूरतमंद तक पहुंचाया जाए। वो कहते हैं कि किसी ग़रीब को अगर भगवान के हिस्से का दूध मिलेगा तो भगवान भी प्रसन्न होंगे और वो इंसान भी, जिसे दूध मिला।

अकेले करते हैं काम

ओनली इंडियन ग़ज़ब की शख़्सियत हैं। उन्हें ना तो नाम चाहिए। ना पहचान चाहिए ना ही पैसा। उन्होंने 2012 में जिस स्वयंसेवी संस्था की स्थापना की उसमें केवल वो ही अकेले सदस्य हैं। मंदिरों से दूध इकट्ठा करने से लेकर बांटने तक का काम भी वो अकेले ही करते हैं।

हर मंदिर में ऐसी व्यवस्था की ज़रूरत ओनली इंडियन एक मिसाल हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी वो पूरे देश को ये संदेश दे रहे हैं कि आस्था और भक्ति कैसे इंसानियत के लिए काम आ सकती है। अगर देश के हर शिवालयों, हर मंदिर और हर उपासना स्थल पर कुछ ऐसी ही व्यवस्था हो जाए कि दान के लिए चढ़ाई गई सामग्री, दूध और पैसों का कुछ हिस्सा ज़रूरतमंदों तक पहुंचाया जाए तो उन ग़रीबों का भला हो सकता है।