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इंजीनियर मधुमक्खी वाला

वो मिठास के सौगादर हैं। ना केवल ज़ुबा पर, बल्कि सैकड़ों परिवारों में भी वो ख़ुशियों की मिठास बांट रहे हैं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट एक ऐसे इंजीनियर की कहानी लेकर आया है जिसने अपने स्वरोज़गार से कई घरों में उजाला कर दिया है। ये कहानी है मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले निमित सिंह की।

सपने को साकार करने का संकल्प

निमित ने बहुत कम उम्र में ही तय कर लिया था कि उन्हें नौकरी नहीं करनी है। वो शुरू से ही ख़ुद का काम करना चाहते थे। जैसे-जैसे निमित बड़े हुए उनकी ये सोच और मजबूत होती चली गई। हालांकि इसका फ़ैसला नहीं किया था कि उन्हें करना क्या है। स्कूल और इंटर की पढ़ाई के बाद उन्होंने 2014 में अन्‍नामलाई विश्‍वविद्यालय से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद उन्होंने अपने काम के बारे में सोच-विचार शुरू किया। इसमें उनके पिता ने साथ दिया। उन्होंने ही निमित को मधुमक्खी पालन का सुझाव दिया। इसके बाद निमित ने मधुमक्खी पालन के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दिया।

देश के कई राज्यों का किया भ्रमण

पहले निमित ने मधुमक्खी पालन के लिए किसी संस्थान से ट्रेनिंग लेने के बारे में सोचा लेकिन उन्हें लगा कि ट्रेनिंग से वो भले ही मधुमक्खी पालन का काम सीख जाएंगे लेकिन कभी इससे दिल से नहीं जुड़ पाएंगे। फ़िर उन्होंने फ़ैसला किया कि वो उन किसानों से मिलेंगे और उनके साथ काम करेंगे जो पहले से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। यूपी के अलावा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, श्रीनगर समेत कई राज्यों में गए। वहां उन्होंने मधुमक्खी पालने वाले किसानों के साथ रह कर काम किया। निमित बताते हैं कि कई किसानों के साथ वो एक-एक हफ़्ते रहे। केवल काम सीखा नहीं बल्कि काम किया भी बिल्कुल एक मज़दूर की तरह। एक-एक बात को बारीकी से समझा और जब वहां से लौट कर आए तो वो इस काम के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके थे। ख़ास बात ये है कि इसी दौरान निमित ने अपनी MBA की पढ़ाई भी पूरी कर ली।

बाराबंकी में शुरू किया मधुमक्खी पालन

साल 2016 में निमित ने बाराबंकी के रजौली में मधुमक्खी पालन की शुरुआत की। शुरू में केवल 50 डिब्बे रखे। देश भर घूम कर जो अनुभव निमित ने हासिल किये थे उसका असर जल्द ही दिखाई देने लगा। अब उनके सामने तैयार शहद को बेचने की चुनौती थी। इस चुनौती को भी निमित ने ख़ुद ही स्वीकार किया। उन्होंने तय किया कि शहद को बेचने का काम भी वो ख़ुद ही करेंगे। उन्होंने स्थानीय स्तर पर शहद बेचना शुरू कर दिया। निमित को लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा। बिल्कुल शुद्ध शहद ने जल्द ही मार्केट में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी। सकारात्मक नतीजों ने निमित का उत्साह बढ़ाया और धीरे-धीरे उन्होंने इस काम को नया मुक़ाम दे दिया। केवल 2 साल बाद यानी साल 2018 में निमित ने मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना के तहत लोन लेकर एक प्लांट लगा लिया। इसमें शहद और बी वैक्स दोनों के काम होने लगे। इसके साथ ही लखनऊ के चिनहट में शहद की गुणवत्ता की जांच के लिए अपना एक लैब भी बना लिया।

मधुमक्खी वाला की शुरुआत

निमित ने मधुमक्खी पालन और शहद के काम को एक ब्रांड का रूप दे दिया। नाम रखा मधमुक्खी वाला। ऐसा नाम जो आम जनता की ज़ुबान पर चढ़ जाए। इसके साथ ही उन्होंने शहद के औषधीय गुणों पर भी काम शुरू कर दिया। उनके मुताबिक इलाक़ों में शहद का स्वाद और उसकी औषधीय क्षमता उस इलाक़े में पाये जाने वाले पौधों और फूलों पर निर्भर करती हैं। अपने रिसर्च के आधार पर उन्होंने अलग-अलग तरह के शहद बाज़ार में उतारे हैं। वो अपने प्रोडक्ट सीधे बाज़ार में बेचते हैं। इसके साथ ही उन्हें ऑनलाइन ऑर्डर भी मिलते हैं। इसके साथ ही वो बी-वैक्स से दीये, मोमबत्तियां, खिलौने समेत कई तरह के प्रोडक्ट भी बनाते हैं।

रोज़गार सृजन और समाज के लिए योगदान

मधुमक्खी वाला के ज़रिये निमित केवल अपना कारोबार नहीं कर रहे हैं। मधुमक्खी पालन, शहद की प्रोसेसिंग, पैकिंग और बी वैक्स के काम में उन्होंने 700 लोगों को रोज़गार दिया है। इस तरह मधुमक्खी वाला क़रीब 150 परिवारों की रोजी-रोटी का साधन मुहैया करवा रहा है। निमित का ये काम समाज में नई चेतना लाने का भी जरिया बन रहा है। बाराबंकी का चैनपुरवा गांव कभी अवैध शराब बनाने के लिए कुख्यात था। क़रीब घर-घर में अवैध शराब बनाई और बेची जाती थी। पूर्व एसपी डॉ अरविंद चतुर्वेदी की मदद से निमित ने इस गांव को अपने कारोबार से जोड़ दिया। यहां के लोगों को जागरूक कर उन्हें बी वैक्स यानी मधुमक्खी के छत्ते से निकलने वाले मोम से दीया बनाना सिखाया। गांव के लोगों ने मिलकर 8 लाख दीये तैयार किये। इसे बेचकर गांववालों को सीधे तौर पर 8 लाख रुपये मिले। निमित के इस काम में चैनपुरवा के 115 परिवार जुड़ गए। इतना ही नहीं एसपी अरविंद चतुर्वेदी ने ज़िले के कई थानों और चौकियों में भी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करवाया। इसमें निमित लोगों को मधुमक्खी पालन की जानकारी दिया करते हैं।

घरवालों का मिला पूरा साथ

इस दौरान भी उनके घरवालों ने निमित का पूरा साथ दिया। पिता केएन सिंह हमेशा उनके साथ खड़े रहे और उन्हें हौसला देते रहे। पिता की कही एक बात निमित को हमेशा याद रहती है। वो हमेशा निमित को कहा करते हैं कि ‘जो भी काम करो, सच्चाई और ईमानदारी से करो।‘ निमित ने भी अपने पिता की इस बात को अपने जीवन का मंत्र बना कर काम किया। वो कहते हैं कि इंजीनियरिंग के बाद जब उन्होंने नौकरी करने के बजाए अपना काम करने की बात की तो परिवार तो उनके साथ था लेकिन कई जानकार ऐसे भी थे जो ताने कसते थे। लेकिन अपने इरादों के पक्के निमित हमेशा सकारात्मक रहे। उन्होंने कभी भी ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया। नतीजा आज सामने है। निमित आज एक कामयाम स्टार्ट अप के मालिक हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी निमित के इस स्टार्ट अप की तारीफ़ की है।

प्रकृति से जुड़ने का संदेश

निमित कहते हैं कि मधुमक्खी पालन हमें प्रकृति से जोड़ता है। इसलिए इस काम को करने के लिए सिर्फ़ कारोबारी नज़रिया नहीं बल्कि प्रकृति से प्यार की भावना भी चाहिए। वो कहते हैं कि मधुमक्खी हमारी धरती के लिए बहुत ज़रूरी है। अगर हमें धरती बचानी है तो मधुमक्खी भी बचानी होगी।