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गुड मॉर्निंग छपरा

गुड मॉर्निंग छपरा सही पढ़ा आपने, ये गुड मॉर्निंग मुंबई नहीं गुड मॉर्निंग छपरा है। और इस रेडियो पर सुनी जाने वाली आवाज़ लगे रहो मुन्ना भाई की एक्ट्रेस की नहीं बल्कि हमारी कहानी के नायक की है- नाम है अभिषेक पिछले 6 सालों से हर रोज़ छपरा की सुबह इसी आवाज़ से होती है। बिल्कुल सधी हुई, लय से सजी हुई, उतार-चढ़ाव की गंभीरता के साथ, अलग-अलग भावों में डूबी हुई आवाज़। आज इस आवाज़ को छपरा के लाखों लोग जानने-पहचानने लगे हैं।

जब मिट्टी ने पुकारा तो लौट आए घर

मास कॉम और फिर फ़िल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट पुणे से कोर्स करने के बाद अभिषेक ने दिल्ली में नौकरी शुरू कर दी लेकिन अपने शहर-अपनी मिट्टी से उनका जुड़ाव बार-बार उन्हें पुकारता रहा। वक़्त ने साथ दिया और उन्होंने छपरा में कम्यूनिटी रेडियो की शुरुआत कर डाली और चैनल का नाम रखा रेडियो मयूर। इसमें उन्हें घरवालों का भी साथ मिला। रेडियो मयूर उन कुछ चुनिंदा कम्युनिटी रेडियो स्टेशन्स में से एक बन गया जिनकी शुरुआत हीं 9 घण्टे के ऑन एयर टाइम से हुई । अभिषेक देश के सबसे कम उम्र के कम्यूनिटी रेडियो प्रैक्टिशनर बन गए।

रेडियो पर संवाद से बदलाव तक

कम्यूनिटी रेडियो का खुलना बड़ी बात नहीं थी। बड़ी बात तो ये थी कि इस रेडियो को अभिषेक ने समाज में बदलाव का ज़रिया बना लिया। एक बार अभिषेक अपने रेडियो कैंपेन से जुड़े काम कर घर लौट रहे थे। रास्ते में किसी ने कचरे से भरा एक थैला अपने घर से सड़क पर फेंका जो सीधे उनकी बाइक के आगे आकर गिरा। अभिषेक ने इस घटना को एक मुहीम बना दिया। अपने शो गुड मॉर्निंग छपरा में उन्होंने शहर को साफ़-सुथरा रखने और खुले में कचरा ना फेंकने के लिए लोगों को जागरूक किया और इसका असर भी हुआ। उसी दिन अभिषेक को एक महिला ने फ़ोन किया, माफ़ी मांगी और कहा कि कचरे का वो थैला उन्होंने ही सड़क पर फेंका था। महिला ने आगे से ऐसा ना करने की बात भी कही। ये था बदलाव।

कोरोना काल के दौरान अभिषेक ने अपने रेडियो मयूर के ज़रिए इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक किया। बीमारी के बारे में लोगों को बताया, उससे बचाव और इलाज के तरीक़ों की जानकारी दी।

इसी बीच कोरोना की वैक्सीन आ गई। लेकिन कई लोग इसे लगवाने के लिए तैयार नहीं थे। कई तरह की अफ़वाहों और आशंकाओं की वजह से लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे थे। इधर अभिषेक लगातार अपने रेडियो पर कोरोना की वैक्सीन लगाने का संदेश दे रहे थे। इसी बीच अभिषेक के पास एक महिला का फ़ोन आया। उन्होंने बताया कि उनके घर के लोग वैक्सीन को ख़तरनाक बता रहे हैं। कोई भी वैक्सीन लगाने के लिए तैयार नहीं है। अभिषेक ने उस महिला को अपने परिवार के साथ रेडियो स्टेशन बुलाया। जब वो आए तो उन्हें वैक्सीन की पूरी जानकारी दी। ये भी बताया कि उन्होंने ख़ुद वैक्सीन लगवाई है। अभिषेक की बातों का असर ये हुआ कि अगले कुछ ही दिनों में पूरे परिवार ने कोरोना की वैक्सीन लगवाई ली। ये था बदलाव।

कम्यूनिटी रेडियो में सामुदायिक भागीदारी ज़रूरी है। इसके लिए अभिषेक ने स्थानीय स्कूल और कॉलेज के छात्रों को रेडियो से जोड़ा। बच्चों के लिए ना केवल ये अनूठा अनुभव था बल्कि उन्हें इससे काफी जानकारी भी मिली। आज कई बच्चे रेडियो मयूर पर अपना प्रोग्राम कर रहे हैं।

एक बार शहर के नेत्रहीन दिव्यांग स्कूल के दो बच्चे रेडियो मयूर के स्टेशन पहुंच गए। वो उस आवाज़ को नज़दीक से महसूस करना चाहते थे जो उन्हें हर दिन रेडियो पर सुनाई देती थी। बच्चों ने कहा कि इस आवाज़ ने उन्हें ज़िंदगी जीने का नया नज़रिया सिखाया है, हिम्मत दी है, रोशनी दी है। ये था बदलाव।

अभिषेक का पाला एक ऐसे लड़के से भी पड़ा जो ना कुछ ख़ास पढ़ा-लिखा था, ना कंप्यूटर की जानकारी थी लेकिन वो ज़िद पर अड़ा था कि उसे भी रेडियो पर काम करना है। अभिषेक ने उसे रेडियो के लिए काम करना सिखाया। आज वो लड़का रेडियो मयूर पर ही लाइव शो कर रहा है। ये है बदलाव।

दरअसल अभिषेक ने कम्यूनिटी रेडियो की ताक़त को समझा और उसका सही इस्तेमाल किया। कम्यूनिटी रेडियो का दायरा भले ही छोटा हो लेकिन उसका असर बहुत व्यापक है, तभी तो आज यूनेस्को समेत कई बड़ी संस्थाएं और कंपनियां रेडियो मयूर से जुड़ कर काम कर रही हैं।

काम से मिली पहचान

अपने कम्यूनिटी रेडियो के ज़रिए किये जा रहे इन कामों ने अभिषेक को पहचान भी दिलाई। आज वो ऑल इंडिया एग्ज़िक्यूटिव कमिटी, कम्यूनिटी रेडियो एसोसिएशन के स्पेशल इलेक्टेड मेंबर हैं, फेडरेशन ऑफ़ कम्यूनिटी रेडियो स्टेशन्स के सदस्य हैं। अभिषेक अपने रेडियो मयूर के ज़रिए ना केवल युवाओं को रोज़गार दे रहे हैं बल्कि वो समाज में बदलाव के बीच भी बो रहे हैं।

आज रेडियो मयूर अपनी टीम और युवाओं की मेहनत से जाना जाता है । आज रेडियो मयूर टीम के मज़बूत स्तम्भों में से कुछ नाम छपरा में लोगों की ज़ुबाँ पर रहते हैं जैसे – लोकप्रिय आर जे रजत , एजे अमरजीत ,आर जे आरती, आर जे नेहा, आर जे अभिनंदन , प्रियांशु ये सभी युवा रेडियो मयूर को आगे लेकर जा रहे हैं और स्थानीय स्तर पर भी अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं । अभिषेक इन सभी के मेंटर के रूप में अपना योगदान बख़ूबी दे रहे हैं ।

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