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नई सोच को ‘नमन’

नई सोच हमें नए रास्ते दिखाती है। और यही रास्ते बड़े बदलाव की मंजिल तक पहुंचाते हैं। हमारे देश की युवा पीढ़ी कुछ इसी तरह की नई सोच और नए रास्तों के ज़रिये ऐसे बदलावों को साकार कर रही है जो पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन रहे हैं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट जिस युवा की कहानी लेकर आया है उन्होंने भी कुछ ऐसे ही बदलाव को अंजाम दिया है। एक ऐसा बदलाव जो वेस्ट को वंडर बना रहा है। हम बात कर रहे हैं नोएडा के रहने नमन गुप्ता की।

सिगरेट फिल्टर है नुकसानदायक

आपने कभी सोचा है कि केवल सिगरेट के फिल्टर कितना प्रदूषण फैलाते हैं। सिगरेट पीने के बाद लोग इन्हें सड़कों पर फेंक देते हैं। चाय की दुकान, पान की दुकान से लेकर तमाम जगहों पर ये बिखरी हुई फिल्टर आप आसानी से देख सकते हैं। आप जानकर चौंक जाएंगे कि हर साल 4.5 ट्रिलियन सिगरेट बट्स फेंके जाते हैं। आम तौर पर लोग ये सोचते हैं कि इस फिल्टर में कागज़ और रूई होती है जो बायोडिग्रेडिबल है लेकिन ऐसा है नहीं। इस फिल्टर में रूई नहीं बल्कि प्लास्टिक पॉलिमर होते हैं जो पर्यावरण के लिए बहुत घातक होते हैं। एक सिगरेट फिल्टर को ख़ुद-ब-ख़ुद डिकंपोज होने में 10 से 12 साल का समय लगता है।

वेस्ट से वंडर बनाने वाले नमन

नोएडा के नमन गुप्ता को ये बात बहुत चुभ रही थी कि सिगरेट फिल्टर हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं और उन्हें सही ढंग से रिसाइकल नहीं किया जा रहा। पर्यावरण के इसी प्रेम ने नमन को कुछ नया करने का आइडिया दिया। ये साल 2015 की बात है। नमन ने इस फिल्टर पर रिसर्च करनी शुरू की। इस फिल्टर को कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, इससे क्या-क्या बनाया जा सकता है ताकि पर्यावरण को इससे हो रहे नुकसान को रोका जा सके। इसी क्रम में नमन को फिल्टर को रिसाइकिल करने की योजना बनाई और शुरुआत की प्लास्टिक पॉलिमर से खिलौने बनाने का आइडिया आया। इसके लिए उन्होंने अपने बड़े भाई विपुल गुप्ता की मदद ली। विपुल ने सिगरेट फिल्टर को पूरी तरह रिसाइकिल करने की मशीन पर काम शुरू किया। दोनों भाइयों की मेहनत रंग लाई और मशीन बन कर तैयार हो गई। नमन ने अपने एक दोस्त विशाल को भी अपने साथ जोड़ लिया। इसके बाद उन्होंने कोड एफर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना कर दी।

सिगरेट फिल्टर का रिसाइकिल

नमन ने सिगरेट फिल्टर को तीन हिस्से में रिसाइकिल करने की योजना बनाई लेकिन ये किसी चुनौती से कम नहीं थी। इस काम के लिए सबसे ज़रूरी था सिगरेट फिल्टर को इकट्ठा करना। नमन और विशाल ने सबसे पहले फिल्टर जमा करने के लिए सिगरेट-पान की दुकानों, टी-स्टॉल और ऑफ़िसों के बाहर डिब्बे रखे। कोशिश इस बात की थी कि लोग ख़ुद सिगरेट पीने के बाद फिल्टर इन डिब्बों में डाल दें लेकिन उनकी ये कोशिश काम नहीं आई। इसके बाद उन्होंने कूड़ा बीनने वालों को अपने साथ जोड़ा। इससे उनके काम में तेज़ी आई। वो फिल्टर चुनने वालों को किलो के हिसाब से पैसे दे रहे थे। जब फिल्टर उनकी फैक्ट्री में पहुंचने लगे तो उन्होंने कई कामगारों को भी रखा। ये फिल्टर की सफाई और उसकी रिसाइकिलिंग का काम करने लगे।

तीन हिस्से में फिल्टर रिसाइकिल

कोड एफर्ट की फ़ैक्ट्री में फिल्टर को तीन हिस्सों में रिसाइकिल किया जाता है। पहला हिस्सा कागज़ होता है। फ़ैक्ट्री में फिल्टर में बचे हुए कागज़ को अलग किया जाता है। इन कागज़ों को साफ़ कर कई तरह के पेपर प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। फिल्टर में बची हुई तंबाकू को खाद बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। फिल्टर के फाइबर को अच्छी तरह केमिकल से धोया जाता है फ़िर मशीन में डाल कर इसकी रूई की तरह धुनाई की जाती है। इससे फाइबर के रेशे अलग-अलग हो जाते हैं। अगर आप प्रोसेस से पहले और बाद के फाइबर को देखेंगे तो यकीन नहीं कर पाएंगे कि सफ़ाई के बाद ये फाइबर कैसे दिखते हैं। तैयार फाइबर से सॉफ्ट टॉय, कुशन, गिफ्ट आइटम्स, की-चेन आदि बनाये जाते हैं। इऩ सामानों को नमन की कंपनी ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरीक़ों से बेच रही है।

छोटी शुरुआत, बड़े सपने

नमन और उनकी कंपनी की शुरुआत छोटे स्तर पर हुई थी। केवल 10 ग्राम फिल्टर हर दिन के हिसाब से काम शुरू हुआ था। कोई और होता तो शायद उम्मीद छोड़ देता कि फिल्टर को इक्ट्ठा करने का काम संभव नहीं हो पाएगा लेकिन नमन और उनके दोस्त विशाल ने हिम्मत नहीं हारी। वो लगातार जुटे रहे और आज हर दिन 1000 किलो फिल्टर की रिसाइकिलिंग का काम हो रहा है। नमन के मुताबिक देश में जितने सिगरेट फिल्टर रोज़ाना फेंके जा रहे हैं उसकी तुलना में 1000 किलो 1 प्रतिशत भी नहीं है। नमन पूरी कोशिश में हैं कि उनका ये काम तेज़ी से आगे बढ़े। उनकी इसी मेहनत का नतीजा है कि कोड एफर्ट का काम नोएडा से बाहर देश के कई राज्यों तक पहुंच चुका है। नमन के कोड एफर्ट ने कचरा बीनने वालों को नया काम दिया है। इसके अलावा उनकी फ़ैक्ट्री में कई कामगार भी हैं। इनमें से कई महिलाएं भी हैं। इन सबको अच्छा मेहनताना दिया जा रहा है।

धूम्रपान छोड़ने के लिए जागरूकता

भले ही नमन की ये फ़ैक्ट्री और उनका काम सिगरेट पर टिका है लेकिन वो अच्छी तरह जानते हैं कि सिगरेट पीना कितना हानिकारक है। तभी वो सिगरेट फिल्टर को रिसाइकिल करने के साथ-साथ लोगों के बीच सिगरेट और नशे की लत को लेकर जागरूकता संदेश भी पहुंचाते हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर वो लोगों को नशे से दूर रहने की सलाह देते हैं। नशे के आदि लोगों को नशा मुक्ति केंद्रों के बारे में बताते हैं।

वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर बड़े-बड़े प्रयास किये जा रहे हैं। लाखों-करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं। इन्हीं कोशिशों में नमन भी अपना बड़ा योगदान दे रहे हैं।