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चंदौली की पैड वूमन

साल 2015-16 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक़ भारत के ग्रामीण इलाक़ों में आधी से अधिक महिलाएं मैन्स्ट्रुएशन हाइजिन के लिए बने उत्पादों से बहुत दूर हैं। इसके चलते वो कई तरह की परेशानियों और बीमारियों से जूझती हैं। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में आज बात एक ऐसी महिला की जो न सिर्फ़ महिलाओं को मासिक धर्म और स्वच्छता के प्रति सजग कर रही हैं बल्कि वो उन तक इससे जुड़े उत्पाद भी पहुंचाती हैं। आज बात उत्तर प्रदेश के चंदौली की रहने वाली कोमल गुप्ता की।

नहीं होते हर दिन समान

महिलाओं के लिए हर दिन एक समान नहीं होते। ख़ासकर मासिक माहवारी के वो दिन जब उन्हें काम तो बाकियों से कंधे से कंधा मिलाकर करना होता है लेकिन, उनका शरीर और मन वैसा नहीं होता है जैसा आम दिनों में होता है। इन दिनों को आसान बनाने के लिए आज के वक़्त में कई उत्पाद बाज़ार में मौज़ूद है लेकिन, ये उत्पाद उन तक आसानी से नहीं पहुंच पाते हैं। मूल रूप से लखनऊ की और फ़िलहाल चंदौली, मुग़लसराय में रहने वाली कोमल गुप्ता महिलाओं तक ये उत्पाद सुलभता से पहुंचाने का काम कर रही हैं।

ख़ुद की परेशानी से औरों के लिए काम करने का फ़ैसला

कोमल शादी के बाद चंदौली आईं थी। यहां उन्हें अहसास हुआ कि महिलाओं में मासिक धर्म को लेकर जागरूकता की बहुत कमी है। महिलाएं ना तो इसे लेकर सजग हैं ना अपनी अगली पीढ़ी को इस बारे में कुछ सही संदेश दे रही हैं। कई तरह की भ्रांतियां इस स्थिति को और गंभीर बना रही हैं। कोमल का मन इन हालातों को देखकर कचोटने लगा। जल्द ही उन्होंने इसके लिए काम करने का फ़ैसला किया। शुरुआत में वो ख़ुद महिलाओं से बात करने लगीं, उन्हें मासिक धर्म के बारे में समझाने लगीं। फ़िर साल 2018 में 7 डेज़ फाउंडेशन की स्थापना कर इस काम को आगे बढ़ाना शुरू किया। कोमल की संस्था में 20 लोग काम कर रहे हैं।

गांव-गांव में ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड

कोमल की संस्था पिछले कई सालों से गांवों, बस्तियों और स्कूलों में मासिक धर्म के बारे में जागरूकता लाने की कोशिश कर रही हैं। कोमल और उनकी टीम इन गांवों और बस्तियों में जाकर ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड का वितरण करते हैं ताकि महिलाएं साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखें और बीमारियों से बचें। अब तक उन्होंने 80 हज़ार से ज़्यादा सेनेटरी पैड बांटे हैं। उन्होंने कई गर्ल्स स्कूलों में भी लड़कियों के बीच मेन्स्ट्रुएशन की जानकारी दी और उन्हें सेनेटरी पैड बांटे। लड़कियों के लिए संस्था ने 25 से ज़्यादा समर कैंप लगाए जिसमें उनके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी गई। ऑर्गेनिक पैड के इस्तेमाल के फ़ायदे बताए गए। इन कैंप्स में कई डॉक्टरों को भी शामिल किया गया ताकि लोग उनकी बातों को गंभीरता से लें।

कोरोना काल में दोहरी चुनौती

कोमल और उनकी संस्था की चुनौती कोरोना काल में हुए लॉकडाउन में बढ़ गई। महामारी के साथ-साथ महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी तक़लीफ़ों भी बढ़ने लगीं। उनकी संस्था के नंबर पर लगातार मदद के लिए फ़ोन आते रहते थे। कोमल अपने साथियों के साथ उस ख़तरनाक़ समय में भी महिलाओं की मदद के लिए पहुंचती थीं। इस दौरान ज़िला प्रशासन ने कोमल गुप्ता की संस्था से संपर्क किया। जिलाधिकारी की तरफ़ से सेनेटरी पैड और दवाएं लोगों के बीच बांटने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई जिसे कोमल और उनके साथियों ने बख़ूबी निभाया।

महिलाओं के लिए समर्पित संस्था

कोमल की संस्था ना सिर्फ़ महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही हैं बल्कि वो उन्हें हर तरह से मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, ब्यूटिशियन और मेहंदी लगाने की ट्रेनिंग कोमल की संस्था फ्री में उपलब्ध कराती हैं। समय-समय पर कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जिसमें बच्चियां और महिलाएं अपने हुनर का प्रदर्शन करती हैं। कोरोना काल में कोमल गुप्ता और उनके साथियों ने उन सैकड़ों लोगों तक मदद पहुंचाई जिनके सामने रोजी-रोटी का संकट आन पड़ा था। उन्होंने प्रशासन के कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा किया।

गांवों में कंप्यूटर शिक्षा

 कोमल की संस्था ने अपने काम को विस्तार देते हुए कंप्यूटर शिक्षा को गांवों तक पहुंचाने का संकल्प लिया। कुछ सरकारी संस्थानों के सहयोग से कोमल इस काम को आगे बढ़ा रही हैं। इससे गांव के लोगों में कंप्यूटर के बारे में दिलचस्पी पैदा हो रही है। ये साक्षरता की दिशा में एक बड़ा क़दम है। कोमल की संस्था ने कई गांवों के स्कूल गोद लिये हुए हैं। उन्हीं स्कूलों में वो अपने कैंप लगाती हैं, सेनेटरी पैड का वितरण करती हैं। स्थानीय पुलिस, ज़िला प्रशासन, रेलवे पुलिस, स्वास्थ्य विभाग समेत कई विभाग कोमल गुप्ता की संस्था की मदद कर रहे हैं।

हाल ही में उनकी संस्था ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर चंदौली में महिलाओं के लिए पिंक बस सेवा शुरू करने की मांग की है।

काम को मिला सम्मान

कोमल सिंगल मदर हैं। अपने सास-ससुर और बच्चे के साथ रहने वाली कोमल ने अपने सामाजिक कामों और परिवार के बीच तालमेल बिठाया हुआ है। पिछले कई सालों से वो लगातार महिलाओं की बेहतरी के लिए काम रही हैं। उनके कामों को सम्मान भी मिल चुके हैं। काशी शिरोमणि, शक्ति स्वरूपा, पैड वूमन, कोविड वॉरियर समेत कई पुरस्कार और सम्मान उनकी संस्था और उनके खाते में आ चुके हैं, लेकिन उनके लिए महिलाओं के चेहरे पर आने वाली मुस्कान ही असली सम्मान है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने और साथ ही सामाजिक तौर पर भी सुरक्षित करने की दिशा में लगातार काम कर रही कोमल और उनकी टीम को हमारी शुभकामनाएं।