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बंदे में है दम

परेड से जागा देश प्रेम

कभी आपने दिल्ली के राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड देखी है? सेना की वर्दी में, क़दम से क़दम मिलाते जांबाज़ों को देखा है? वो परेड देखने वालों के रौंगटे खड़ी कर देती है। परेड में शामिल जवानों का अंदाज़ हमारे दिलों में भी देशभक्ति की लहर दौड़ा देता है। राष्ट्रध्वज को दी गई उनकी सलामी हमारे दिल-ओ-दिमाग में छप जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ एक नौजवान युवती के साथ, और ऐसा हुआ कि छत्तीसगढ़ की इस युवती की जीवन की राह ही बदल गई। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी इसी युवती की, नाम है वंशिका पाण्डेय।

छत्तीसगढ़ का गौरव बनी वंशिका

अपनी बेटी के कॉलर पर लेफ़्टिनेंट का बैच लगाकर कौन मां-बाप ख़ुश नहीं होंगे। परिवार और रिश्तेदार तो उत्साहित और ख़ुश हैं ही, पूरा छत्तीसगढ़ भी उनकी इस ख़ुशी में भागीदार बन रहा है। वंशिका की उपलब्धि है ही इतनी बड़ी। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की वंशिका पाण्डेय महज 24 साल की उम्र में भारतीय सेना में लेफ़्टिनेंट बन गई हैं। सेना में लेफ़्टिनेंट का पद हासिल करना अपने आप में महत्वपूर्ण है लेकिन वंशिका ने तो एक और कमाल किया है। वो छत्तीसगढ़ की पहली महिला हैं जो सेना में लेफ़्टिनेंट की पोस्ट पर बहाल हुई हैं। ऑफ़िसर्स ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई में जब उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी कर लेफ़्टिनेंट का पोस्ट हासिल किया तब उनके माता-पिता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। घर लौटीं तो मिठाइयां बंटी। जान-पहचान के साथ-साथ शहर के कई लोग उनके मिलने पहुंचे, उन्हें बधाइयां दी।

इंजीनियरिंग से सेना तक का सफ़र

वंशिका का जन्म राजनांदगांव में ही हुआ। स्कूल और इंटर तक की पढ़ाई के बाद वो इंजीनियरिंग करने जबलपुर चली गईं। इसी शहर ने उनकी जीवन-धारा बदल दी। कहां वंशिका को इंजीनियरिंग करने के बाद किसी मल्टी-नेशनल कंपनी में काम करना था और कहां वो अब भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के अभियान में शामिल हो गई हैं। दरअसल जबलपुर में आर्मी का बड़ा सेंटर है। वंशिका अक्सर सेना के जवानों को परेड करते हुए देखा करती थीं। ये परेड, सेना के जवानों का अनुशासन, उनकी वर्दी वंशिका को आकर्षित करने लगी। अब जब भी समय मिलता वंशिका परेड देखने पहुंच जाती। सेना से उनका लगाव इतना बढ़ गया कि उन्होंने वहीं तैनात एक आर्मी ऑफ़िसर से सेना में भर्ती होने के बारे में पूछताछ कर ली। बस फ़िर क्या था। वंशिका ने शानदार नंबरों के साथ पहले अपनी इंजीनियरिंग पूरी की और फ़िर सेना में भर्ती के लिए SSB की तैयारी करने लगी। वंशिका ने इसमें भी कमाल दिखाया। उन्होंने सेना भर्ती परीक्षा भी पास कर ली। ट्रेनिंग के लिए उन्हें ऑफ़िसर्स ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई भेजा गया। 11 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद 30 जुलाई 2022 को पासिंग आउट परेड में उन्हें लेफ़्टिनेंट की पोस्ट से नवाज़ा गया।

परिवार का मिला पूरा साथ

वंशिका के पिता अजय पाण्डेय एक बिजनेस मैन हैं। मां सरला पाण्डेय गृहणी हैं। वंशिका दो बहनें हैं। शुरू से पढ़ाई में अव्वल वंशिका ने इंजीनियरिंग में देश भर में अच्छा स्थान हासिल किया था। उन्होंने अपनी राह ख़ुद चुनी थी लेकिन जब अचानक उन्होंने अपने घरवालों से सेना में जाने के बारे में बात की तो घरवालों ने भी उनका साथ दिया। पिता ने हौसला दिया। कहा- आगे बढ़ो। हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं। घरवालों के इसी साथ और अपनी मेहनत के दम पर वंशिका ने क़ामयाबी के इस मुक़ाम को हासिल कर दिखाया।

बधाई संदेशों का सिलसिला

वंशिका ने छत्तीसगढ़ का भी मान बढ़ाया है। वो प्रदेश की पहली महिला हैं जो भारतीय सेना में लेफ़्टिनेंट बनी हैं। राज्य के मुख्यमंत्री ने वंशिका को न्योता देकर बुलाया और तिरंगा देकर सम्मानित किया। स्थानीय प्रशासन, मेयर और कई संस्थाओं ने भी वंशिका को सम्मानित किया है। वंशिका आज छत्तीसगढ़ के युवाओं की प्रेरणा बन चुकी हैं, ख़ास तौर पर लड़कियों की। उन्होंने लड़कियों के लिए करियर का एक नया रास्ता दिखाया है। भारतीय सेना, जहां देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत शानदार करियर है। वंशिका को इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की हार्दिक शुभकामनाएं।