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प्रोफेसर आलोक सागर: अविश्वसनीय लेकिन सच

देश की राजधानी दिल्ली में जन्म, आईआईटी से इंजीनियरिंग, फिर अमेरिकन यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट और इसके बाद आईआईटी में ही प्रोफेसर की नौकरी। जीवन में इतना कुछ हासिल करने वाले व्यक्ति को क्या कुछ और चाहिए होगा? जी बिल्कुल चाहिए होगा। कुछ बीज जिनसे वो पेड़ उगा सकें। पढ़कर हैरान हो गए क्या ? चलिए आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में हम आपको मिलवाते हैं उसी व्यक्ति से जो आपको हैरान करने वाला ये काम कर रहा है। हम आपको मिलवाते हैं प्रोफेसर आलोक सागर से।

आदिवासियों को किया जीवन समर्पित

इस दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो हमारी यकीन की सीमाओं से परे हैं। ऐसे ही है प्रोफेसर आलोक सागर। तस्वीर देखकर यकीन करना मुश्किल हैं कि ये इतने बड़े स्कॉलर हैं।

प्रोफेसर आलोक सागर फिलहाल में मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले बैतूल में रहते हैं। वे यहां आदिवासियों के साथ जीवन गुजार रहे हैं। प्रोफेसर आलोक सागर ने ख़ुद को इन्हीं आदिवासियों के लिए समर्पित कर दिया है। प्रोफेसर, आदिवासियों के बीच शिक्षा, पर्यावरण और उनके अधिकारों की अलख जगाने का काम कर रहे हैं। बीते लगभग 3 दशक से आदिवासियों के साथ रहते-रहते प्रोफेसर आलोक सागर ख़ुद भी पहनावे और रंग-ढंग से आदिवासी ही लगने लगे हैं। अगर ये कहा जाये कि प्रोफेसर ने ख़ुद को इन लोगों में समाहित कर दिया तो गलत ना होगा।

 जंगल बचाने के लिए किया काम

प्रोफेसर सागर अब तक उनके आसपास के जंगलों में कई फलदार और औषधीय गुणों वाले पेड़-पौधे लगा चुके हैं। वो लोगों को इनका महत्व बताते हैं और इनके बीज लोगों में बांटते है जिससे कि अधिक से अधिक लोग इन्हें लगाये। प्रोफेसर सागर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की भौंरी तहसील के कोचामाऊ गाँव में रहकर आदिवासियों की आनेवाली पीढ़ियों को जल, जंगल और ज़मीन से जोड़े भी हुए हैं और साथ ही उन्हें शिक्षित और जागरुक बना रहे हैं।

दो जोड़ी पायजामा और एक साइकिल है संपत्ति

प्रोफेसर आलोक सागर ने अपनी शिक्षा का इस्तेमाल इन आदिवासियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक करने में किया है। वो आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनने, शिक्षा का महत्व समझाने और प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर उसी से रोज़गार उत्पन्न करने के तरीके सिखाते हैं। एक सम्पन्न परिवार में जन्में प्रोफेसर आलोक सागर के पास किसी चीज़ की कमी नहीं थी। लेकिन, आज अगर उनकी संपत्ति की बात की जाये तो उनके पास केवल दो जोड़ी पायजामा-कुर्ता और एक सायकल के अलावा कुछ नहीं है।

ऐसे अनंत सागर की ज़रूरत

प्रोफेसर आलोक सागर उम्मीद की वो किरण हैं जिसकी हर किसी को तलाश होती है। हारे हुए इंसानों में जान फूंकने का माद्दा रखनेवाले प्रोफेसर का परिवार, उनके भाई बहन बड़े शहरों और विदेशों में रह रहे हैं। लेकिन, प्रोफेसर आलोक सागर इन सबसे इतर गांव में एक सार्थक जीवन जी रहे हैं। देश को ऐसे ही अनंत सागर की ज़रूरत है जो ज़मीनी स्तर पर बदलाव ला सकें।

इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट प्रोफेसर आलोक सागर और उनके जज़्बे को सलाम करता है।