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बंदे में है दम

शिक्षा साधना में जुटे हैं रामवीर

वो इन दिनों जर्मनी हैं। एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में लेकिन वो चाहे जहां रहें, गांव उनके अंदर बसता है। कल ही देर तक उनसे बात हुई। गांव के लिए कुछ नया, कुछ बेहतर करने का जज़्बा उनकी बातों से जैसे छलक रहा था। विदेश में भी वो मिलने वालों से गांव की ही बातें किया करते हैं। यूं कहें तो उन्होंने अपने गांव को अपने अंदर बसा लिया है। इस युवा को लोग लाइब्रेरी मैन के रूप में भी जानते हैं। हम बात कर रहे हैं एक युवा इंजीनियर की, नाम है-रामवीर तंवर।

रामवीर का लाइब्रेरी मैन बनने का सफ़र

दिल्ली के पास बसा है मल्टिनेशनल कंपनियों और ऊंची-ऊंची इमारतों के शहर गौतम बुद्ध नगर जिसे आम तौर पर हम नोएडा के नाम से जानते हैं। इसी नोएडा के झुंडपुरा गांव के रहने वाले हैं रामवीर तंवर। महज 33 साल की उम्र में रामवीर ने देश ही नहीं दुनिया को समझाया है कि शिक्षा की अलख ही समाज की तरक्की का रास्ता खोलती है।

रामवीर की कहानी शुरू होती है साल 2018 से। मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले रामवीर हमेशा बदलाव के प्रति जागरूक रहते थे। इसी बीच गांव के खंडहर हो चुके पंचायत दफ़्तर में कुछ नया शुरू करने की बात हुई। गांव के कुछ लोगों ने पंचायत भवन में सिलाई सेंटर खोलने की बात की। रामवीर को जैसे इसी मौक़े का इंतज़ार था। उन्होंने इस भवन में लाइब्रेरी खोलने पर ज़ोर दिया। फ़िर क्या था, गांव के लोगों ने उनका समर्थन किया लेकिन बात इस सवाल पर अटक रही थी कि उसकी देखरेख कौन करेगा। रामवीर ने ख़ुद इसकी ज़िम्मेदारी उठाई और इस तरह शुरुआत हुई नोएडा के झुण्डपुरा गांव में पुस्तकालय की। तारीख़ थी 3 मार्च 2018 जब रामवीर के सपने ने साकार रूप लेना शुरू किया। शुरुआत में लाइब्रेरी में ना बैठने के लिए बेंच थी ना कोई और सुविधाएं। बच्चे दरी या चटाई पर बैठकर पढ़ते थे। धीरे-धीरे इसमें सुधार होता गया। आज ये लाइब्रेरी एक मिसाल बन गई है।

100 ग्राम पुस्तकालयों का संकल्प

रामवीर बताते हैं कि जब उनके गांव में लाइब्रेरी शुरू हुई तो ग़रीब परिवार के बच्चे, मज़दूरों के बच्चे बड़ी तादाद में यहां पहुंचने लगे। उन बच्चों को इस लाइब्रेरी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। रामवीर को लगा कि उनका ये मिशन काम कर रहा है। इसी के बाद उन्होंने 100 गांवों में लाइब्रेरी बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने इस मिशन का नाम हंड्रेड रूरल लाइब्रेरी रखा। पहले नोएडा और फ़िर आसपास के ज़िलों में रामवीर की इस अलख ने असर दिखाना शुरू किया। नोएडा और आसपास के ज़िलों के लोग उन्हें अपने गांव बुलाने लगे। उनसे लाइब्रेरी खोलने का सुझाव मांगने लगे। देखते ही देखते गांव के गांव में लाइब्रेरी खुलनी शुरू हो गई और रामवीर के हंड्रेड लाइब्रेरी का सपना भी साकार हो गया।

ग्राम पाठशाला का आरंभ

अब लोग रामवीर को लाइब्रेरी मैन के रूप में जानने लगे। 100 लाइब्रेरी खुलने के बाद रामवीर थमे नहीं। उनकी मदद से ग़ाज़ियाबाद गठन किया गया कई लोग साथ आए और लाइब्रेरी का काम आगे बढ़ने लगा। रामवीर भी लगातार इसमें सहयोग देते रहे। अगस्त 2020 में ग़ाज़ियाबाद गनौली गांव से ग्राम पाठशाला की शुरुआत हुई। यहां भी पंचायत घर खंडहर ही थे। लोगों ने इसे एक सुंदर लाइब्रेरी में बदल दिया। इस लाइब्रेरी में क़िताबों के अलावा 67 बच्चों के बैठने की भी समुचित व्यवस्था की गई। इसी बीच लाइब्रेरी के लिए काम कर रहे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में काम करने वाले लाल बहार और ग्राम पाठशाला की टीम ने आसपास के गांवों में जाकर वहां भी लाइब्रेरी खोलने के लिए लोगों को तैयार करने का सुझाव दिया। उनके इस सुझाव पर अमल हुआ और ग्राम पाठशाला की टीम बनाई गई। अब टीम के लोग गांव-गांव जाकर लोगों को अपने यहां लाइब्रेरी खोलने के लिए जागरूक करने

साथ से आगे बढ़ी बात

रामवीर ने जो बीज बोया था वो अब पौधा बन रहा था लेकिन उसके पेड़ बनाने के लिए बहुत मेहनत की ज़रूरत थी। ऐसे में रामवीर को ऐसे लोगों का साथ मिलने लगा जो इस बदलाव को आगे बढ़ाना चाहते थे। ग्राम पाठशाला की वजह से रामवीर का सपना साकार हो गया।

उच्च शिक्षा प्राप्त युवा, सरकारी विभागों-निजी कंपनियों में नौकरी कर रहे, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी, शिक्षक, इंजीनियर, खिलाड़ी, कहें तो हर क्षेत्र में काम करने वाले रामवीर के साथ खड़े थे। इन सबने संकल्प लिया कि जब तक देश के हर गांव में लाइब्रेरी नहीं खुल जाती, छुट्टी के दिन घर पर नहीं बैठेंगे। ये संकल्प साकार भी हो रहा है।

6 राज्य और 300 गांव का सफ़र

रामवीर और उनकी टीम की मेहनत रंग लाने लगी। नोएडा के झुण्डपुरा से जली शिक्षा की ये मशाल देश के 6 राज्यों तक पहुंच चुकी है। नोएडा के 25 से ज़्यादा गांव, बाग़पत, बड़ौत, ग़ाज़ियाबाद, गोरखपुर ही नहीं, अब राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली समेत कुल 6 राज्यों के 300 गांवों में पुस्तकालय ना केवल खुल चुके हैं बल्कि शानदार तरीक़े से चलाए जा रहे हैं। पिछले 4 सालों से मिशन लाइब्रेरी में जुटे रामवीर और उनके साथी अब देश के 6,64,369 गांवों में लाइब्रेरी खोलने की दिशा में काम कर रहे हैं। ग्राम पाठशाला की टीम के सदस्य पैदल यात्रा कर, साइकिल से यात्रा कर गांव-गांव जाती है और लोगों को पुस्तकालय की अहमियत समझाती है। ग्राम पाठशाला कोई संस्था नहीं है, कोई एनजीओ नहीं है, ये तो एक जज़्बा है, समाज में शिक्षा की लौ जलाने का। ये टीम किसी से भी किसी तरह का फंड नहीं लेती। अगर कोई मदद करना भी चाहता है तो वो सीधे लाइब्रेरी को ही मदद करते हैं।

बच्चों को लाइब्रेरी से जोड़ा

रामवीर बताते हैं कि लाइब्रेरी से लोगों का जुड़ाव बेहद ज़रूरी है। अगर गांव के लोग, गांव के बच्चे लाइब्रेरी से नहीं जुड़ेंगे तो लाइब्रेरी नहीं चल पाएगी। लाइब्रेरी की चाबियां बच्चों के ही पास रहती है। सुबह जो बच्चे आते हैं वो लाइब्रेरी खोलते हैं। शाम में जाने वाले बच्चे ताला लगाकर जाते हैं। रामवीर के मुताबिक़ कई लाइब्रेरी तो 24 घंटे खुली रहती हैं। उन्होंने लाइब्रेरी से बच्चों के जुड़ाव का एक दिलचस्प वाकया सुनाया। उन्होंने बताया कि उनके गांव की लाइब्रेरी में सिर्फ़ पंखे थे, कूलर या एससी नहीं था। पिछले दिनों भीषण गर्मी की वजह से बच्चे परेशान रहने लगे तो रामवीर ने अपने ख़र्च पर एक कूलर लगवा दिया। इसके बाद लाइब्रेरी आने वाले बच्चों ने ख़ुद पैसे इकट्ठा कर एक और कूलर की व्यवस्था कर ली। ये है बच्चों का लाइब्रेरी से रिश्ता।

लाइब्रेरी के साथ-साथ बुक बैंक

रामवीर एक बुक बैंक भी चलाते हैं। इसके ज़रिये वो 60 हज़ार से अधिक क़िताबें इकट्ठी कर चुके हैं। सोशल मीडिया और अपने जानकारों के माध्यम से वो लोगों से संपर्क करते हैं। उनसे क़िताबें दान करने का आग्रह करते हैं। लोगों से मिली क़िताबें लाइब्रेरी में जाती हैं जिसका फ़ायदा वहां आने वाले बच्चों को होता है। रामवीर अपील करते हैं कि लोग क़िताबों को रद्दी में देने के बजाए लाइब्रेरी में दें ताकि और लोग उसे पढ़ सकें।

सबको श्रेय देते हैं रामवीर

इस बात में दोराय नहीं कि रामवीर ने गांव-गांव लाइब्रेरी के मिशन की शुरुआत की है लेकिन ख़ुद रामवीर इसका श्रेय अकेले नहीं लेना चाहते। वो कहते हैं कि अगर उनके साथ लोग नहीं जुड़ते तो शायद ये अभियान इतना सफल नहीं हो पाता। फिलहाल ग्राम पाठशाला की टीम में करीब 250 लोग एक्टिव काम कर रहे हैं लेकिन ख़ास तौर पर वो श्री के.पी.एस गुर्जर जी, लाल बहार जी,  अमर चौधरी जी, जगबीर भाटी, अजय पाल नागर, सतीश मोटला जी, साइकिल यात्रा कर लोगों को जागरूक करने वाले साइकिल मैन प्रवीण बैसला, सोनू बैसला, देवराज नागर, पवन यादव, तोषी नागर, नीलम भाटी, अंजली सचदेवा समेत 100 से ज़्यादा लोगों के योगदान का ज़िक्र करते हैं। हमारे लिए उन सभी के नामों और योगदानों का उल्लेख करना संभव तो नहीं है लेकिन इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट रामवीर और उनके सभी साथियों को ग्राम पुस्तकालय के इस महान अभियान के लिए सलाम करता है।