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बंदे में है दम

सीमा जैसा कोई नहीं

क्या आप जानते हैं मार्शल आर्ट की एक विधा है जीए कुन डो जिसे महान मार्शल आर्ट एक्सपर्ट ब्रूस ली ने ईजाद किया था। साल 1967 में ईजाद की गई आत्मरक्षा के लिए अपनायी जाने वाली इस तकनीक के गुर दुनिया की केवल 10 महिलाओं के ही पास हैं। भारत में इसकी मास्टर हैं डॉक्टर सीमा राव। सीमा राव की ख़ासियत बस इतनी ही नहीं है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में हम डॉ सीमा राव की कहानी लेकर आए हैं। इसमें हम बताएंगे कि सीमा को क्यों कहा जाता है हिंदुस्तान की वंडर वुमन।

इकलौती महिला कमांडो ट्रेनर

डॉक्टर सीमा राव देश की एकमात्र महिला कमांडो ट्रेनर हैं। वो बीते 20 साल से भारतीय सेना, वायु सेना और नेवी समेत पैरामिलिट्री फोर्स में ट्रेनर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। डॉक्टर सीमा राव अब तक 20 हजार के करीब कमांडोज़ को ट्रेनिंग दे चुकी हैं। वो दुनिया के कई घातक मार्शल आर्ट्स की जानकार हैं। वो एक जबरदस्त शूटर हैं। 30 यार्ड की रेंज में उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है। सीमा के इस कमांडो अवतार की और जानकारी देंगे लेकिन उससे पहले सीमा के जीवन सफ़र की बात करते हैं।

ख़ून में है देशप्रेम का जज़्बा

49 साल की डॉक्टर सीमा राव का जन्म मुबंई में हुआ। उनके पिता रमाकांत सिनारी ने गोवा की आज़ादी के लिए हुए आंदोलन में हिस्सा लिया था। वो कहती हैं कि उन्हें देश सेवा का जज़्बा अपने पिता से ही विरासत में मिला है। तीन बहनों में सबसे छोटी डॉक्टर सीमा राव बचपन से ही मेडिकल की पढ़ाई करने का सपना संजोया था जिसे उन्होंने पूरा भी किया। वो एमडी तक की पढ़ाई कर चुकी हैं। इसके साथ ही उन्होंने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से इम्युनोलॉजी और डोएन यूनिवर्सिटी से लाइफस्टाइल मेडिसिन का कोर्स करने के साथ ही वेस्टमिन्स्टर बिजनेस स्कूल से लीडरशिप की पढ़ाई भी की है।

मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग से बदली ज़िंदगी

अपनी पढ़ाई के दौरान डॉक्टर सीमा राव की मुलाकात डॉक्टर दीपक राव से हुई जो उस वक्त पढ़ाई के साथ साथ मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे रहे थे। डॉक्टर सीमा राव भी उनसे ट्रेनिंग लेने लगी। आगे चलकर दोनों ने शादी भी की। इसके साथ ही उनकी बेटी डॉक्टर कोमल ने भी मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली है। उनकी बेटी ने केज फाइटिंग में पुरुष प्रतिद्वंदी को हराकर उपलब्धि हासिल की है। मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के दौरान सीमा राव ने कमांडो की जिंदगी के बारे में पढ़ा तो उनको बहुत ज्यादा रोमांचक लगा। यही वजह है कि उन्होंने मिलिट्री मार्शल आर्ट्स और इजरायली सेना के खास मार्शल आर्ट ‘कर्व मागा’ की भी ट्रेनिंग ली। ‘कर्व मागा’ सेल्फ डिफेंस की एक अद्भुत तकनीक है जिसे इजरायल की सेना ने खुद विकसित किया है। दुनिया के कई देशों की सेनाओं में सेल्फ डिफेंस के लिए ‘कर्व मागा’ सिखाया जाता है। ब्रूस ली के छात्र रहे ग्रैंड मास्टर रिचर्ड बस्टिलो से उन्होंने जीए कुन डो की कला सीखी। ये उनकी बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने गहरे पानी में आने वाली समस्याओं को समझने के लिए नौकायन के साथ स्कूबा डाइविंग में प्रोफेशनल कोर्स किया। इतना ही नहीं ऊंचाई और अत्यधिक ठंड के दौरान पैदा होने वाली चुनौतियों को समझने के लिए पर्वतारोहण के साथ स्काइडाइविंग का कोर्स भी उन्होंने किया है। इसके साथ ही डॉक्टर सीमा राव ने जंगल के अंदर विषम परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए जरूरी ट्रेनिंग भी ली है।

स्पेशल कमांडो ट्रेनर सीमा

सीमा पहली ऐसी ट्रेनर हैं जो पुरुषों को ट्रेनिंग देती हैं। क्लोज क्वार्टर बैटल यानी कि सीक्यूबी एक्सपर्ट बनना बहुत मुश्किल है लेकिन सीमा ने ये भी कर दिखाया। भारतीय सेना में कमांडो ट्रेनर बनने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी। कई दौर की बातचीत और प्रदर्शन के बाद जवानों को कॉम्बैट ट्रेनिंग देने का सिलसिला शुरू हुआ था। सीमा को अक्‍सर पुरुष जवानों को ट्रेन करना होता था। इसलिए उन्होंने अपनी फिटनेस का विशेष ध्यान रखा। समय-समय पर अपनी स्किल्स को अपग्रेड करती रही। सीक्यूबी मेथोडोलॉजी संबंधी सर्टिफिकेशंस हासिल किए।

आज वो एक मिसाल बन चुकी हैं। वो देश की सुरक्षा करने वाले सबसे ख़तरनाक 20 हज़ार कमांडोज़ तैयार कर चुकी हैं। वो देश की हर बेटी के लिए एक नज़ीर हैं कि वो भी हर मुश्किल को पार कर एक ऐसा मुक़ाम हासिल कर सकती हैं जिसके बाद हर कोई उन्हें सलाम करे।