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कहानी दो बहनों की

इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में आज बात दो बहनों की। फ़िलहाल पढ़ाई कर अपने करियर को दिशा में देने जुड़ी ये दोनों ही बहनें कलाकार भी हैं। कलाकार भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि वेस्ट से बेस्ट बनानेवाली कलाकार! दोनों ही बहनें अपने घर में कबाड़ हो रही चीज़ों, कपड़ों और अन्य सामानों से नयी-नयी चीज़ें बना लेती हैं। ये हैं आस्था दुबे और अस्मिता दुबे। मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर मंदसौर की रहने वाली ये दोनों ही बहनें कला के माध्यम से ख़ुद को अभिव्यक्त करती हैं। हर काम को ये बहनें कुछ अलग, कुछ ख़ास या यूं कहें कि एक्स फैक्टर के साथ करती हैं।

ईको फ्रेण्डली गणेशा

ईको फ्रेण्डली मूर्तियों का ट्रेंड भले ही आज का हो लेकिन, इन दोनों बहनों ने इसकी शुरुआत बहुत पहले ही कर दी थी। अपने कॉलेज के दिनों में आयोजित एक प्रतियोगिता में इन दोनों बहनों ने मिलकर पहले मिट्टी के गणेश बनाये थे। प्रतियोगिता से शुरू हुआ ये सिलसिला एक बार जो चला तो आज तक जारी है। दोनों ने ही शुरुआती दौर से ही ये तय कर लिया था कि गणपति वो न सिर्फ़ ईको फ्रेण्डली बनायेंगी बल्कि साथ ही कुछ अलग भी बनाएंगी, जैसे कि अलग-अलग वाद्ययंत्र बजाते हुए गणपति या फ़िर गजानन का दक्षिण भारतीय रूप।
सोशल मीडिया के ज़रिये उन्होंने जब इन मूर्तियों को लोगों के सामने पेश किया तो इन बहनों को अपने आप ही ऑर्डर भी मिलने लगे। आज के वक़्त में ये बहनें मूर्तियों को ग्राहक की पंसद के मुताबिक़ डिजाइन करके बनाती हैं और बेचती हैं।

कमाई से ज़रूरतमंद लड़कियों की मदद

पढ़ाई करने के साथ-साथ मूर्तियां बना रही दोनों बहनें ये पूरा काम अपनी पॉकेट मनी से करती हैं और जो भी पैसा ये मूर्तियां बेचकर कमाती हैं उन्हें वो एक ऐसे नेक काम के लिए दान करती हैं जिससे समाज में लड़कियों की स्थिति सुधारने में मदद हो पाती है। आस्था और अस्मिता दोनों मूर्तियों से होने वाली कमाई से सैनेटरी नैपकिन ख़रीदकर ज़रूरतमंद बच्चियों और महिलाओं को देती हैं।

ख़ूबसूरत रंगोली से लेकर दिलकश गमलों तक

आस्था, अस्मिता की कलाकारी सिर्फ़ गणेश जी की मूर्तियां बनाने तक नहीं सिमटी हुई है। दोनों बहनें अक्सर कला में कुछ नया, कुछ अलग करती रहती हैं। कभी अपने घर की दीवारों पर ख़ूबसूरत कलाकृति बनाना, कभी पुराने कपड़ों से बैग, कवर और दूसरी चीज़ें बना देना तो कभी प्लास्टिक की बोतलों से रंगीन मनमोहक गमले तैयार कर देना। दोनों बहनें हर चीज़ को नए नज़रिये से देखती और उन्हें बिल्कुल नए अंदाज़ में पेश कर देती हैं।
आस्था-अस्मिता की बनाई रंगोली भी लोगों को बहुत पसंद आती हैं।

‘अर्क’ से शुरू किया कारोबार

सरकारी नौकरी वाले परिवार से आने वाली इन बहनों ने अब कारोबार की तरफ़ भी क़दम बढ़ाया है। मैनेजमेन्ट की छात्रा अस्मिता घर में ही आयुर्वेदिक तेल बनाकर बेच रही हैं। उन्होंने ‘अर्क’ नाम के इस तेल को बनाने के पीछे की कहानी भी बताई। वो कहती हैं कि उनकी मां को लंबे और ख़ूबसूरत बालों का शौक़ है। शुरुआत से ही वो अपने बालों के लिए घर में ही तेल तैयार करती रही हैं। आज भी उनके बालों पर अपने बनाए तेल का असर दिखाई देता है। अस्मिता को यहीं से बिजनेस का आइडिया आया। उन्होंने अपनी मां के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए तेल बनाना प्रारंभ किया। इसमें उनके परिवार का भी पूरा साथ मिला।

तिल के तेल और 22 जड़ी बूटी से तैयार

अस्मिता ने अर्क बनाने की विधि भी बतायी। वो बताती हैं कि अर्क तिल्ली के तेल और 22 तरह की जड़ी-बूटियों से निर्मित है। इसमें किसी भी तरह का कोई रासायनिक तत्व नहीं है। यह प्राकृतिक रूप से बना है न कि किसी पाक विधि से। पकाने से तेल के महत्वपूर्ण तत्व वाष्पीकृत हो जाते हैं यानी तेल का पोषण ख़त्म हो जाता है। अर्क बालों की हर परेशानी का उपाय है जैसे कि बालों का गिरना, झड़ना, बालों में दो मुँह का होना, डैंड्रफ, कम उम्र में बालों का सफ़ेद होना आदि।

फ़िलहाल अपनी पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ-साथ ये दोनों बहनें अर्क को आगे बढ़ाने में भी लगी हुई हैं। वो कहती हैं कि अभी हमारा लक्ष्य सभी तक यह तेल पहुँचना है, लोगों की बालों की समस्या दूर करना है और लोगों में फैले बालों से जुड़े मिथकों को ख़त्म करना है। अभी उन्होंने इस तेल को अपने पहचान वालों और ‘वर्ड ऑफ माउथ’ का प्रयोग कर तेल बेचा है। आगे वो इसे एक बड़े रूप में लाना चाहती हैं।

इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की ओर से इन दोनों ही युवा उद्यमियों को ढेर सारी शुभकामनाएं।