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बंदे में है दम

मुश्किलों को हरा कर जीतने का जज़्बा

कहते हैं हौसला हो तो कोई काम नामुमकिन नहीं। देवास की रहने वाली अंजलि माधवानी भी ऐसी ही एक मिसाल हैं। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे छोटे से शहर की रहने वाली अंजलि ने अपने जीवन के लिए अपने मुताबिक रास्ता उस वक़्त और परिस्थिति में चुना जिस वक़्त और परिस्थिति में इंसान हार मानकर बैठ जाता है। अंजलि ने हर मुश्किल से लड़ कर, उस पर जीत हासिल कर एक ऐसा मुक़ाम हासिल किया है जिसके बाद लोग उसके हौसले को सलाम कर रहे हैं। अंजलि दिल्ली में आयोजित मिस एंड मिसेज दिवास इंडिया सीजन 4 में मिसेज क्लासिक कैटेगरी की विजेता चुनी गई हैं।

देवास से ‘मिसेज दिवास’ तक

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से 30 किलोमीटर दूर एक छोटा सा शहर देवास। माता की टेकरी, बैंक नोट प्रेस और कुमार गंधर्व के लिये जाने जानेवाले इस शहर में जन्मी अंजलि एक सामान्य सा जीवन जीती आयी हैं। संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी अंजलि शुरुआत से ही पढ़ाई में अच्छी थी। अंजलि के दादाजी सरकारी स्कूल के हेडमास्टर थे। उनकी मां भी स्कूल में प्राध्यापक और पिता बीएनपी में कर्मचारी थे। अंजलि को बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई का ही माहौल मिला। तीन भाई-बहनों में मंझली अंजलि ने इंदौर के प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए किया है। अंजलि चाहती तो एमबीए के बाद किसी एमएनसी में नौकरी कर सकती थीं लेकिन उन्होंने देवास में ही रहने को प्राथमिकता दी लेकिन इसके साथ-साथ अपने लिए करियर के नए रास्ते चुने। उन्होंने देवास के ही एक कॉलेज में नौकरी शुरू कर दी।

ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव का संघर्ष

अंजलि का शादीशुदा जीवन उतना ही ख़ुशनुमा था जितना कि किसी भी सामान्य लड़की का हो सकता है। दो बच्चों की मां अंजलि की 12 साल की शादी में उस वक़्त तूफान आ गया जब उनके पति को लीवर संबंधी जानलेवा बीमारी हो गई। अंजलि ने अपने पति को बचाने और उन्हें सामान्य जीवन देने के लिए जी तोड़ कोशिशें की लेकिन, साल 2020 में उनके पति उनका साथ छोड़कर चले गए। इसके बाद अंजलि का सहारा बना उनका परिवार और वो सहारा बनीं ख़ुद और अपने बच्चों की।

अंजलि ने अपने पति के जाने के बाद तय किया कि वो जीवन को दुखी होकर नहीं बल्कि उत्साह और ऊर्जा के साथ जियेंगी। पति की यादों को दिल और जज़्बातों में संजोये अंजलि अपने बच्चों के साथ समय बिताने और नौकरी करने के साथ कई ऐसी गतिविधियों से जुड़ी जिससे उन्हें मानसिक और आर्थिक संबल मिले। अंजलि ने घर से ही अपना व्यवसाय भी शुरू किया।

ब्यूटी कॉन्टेस्ट में लिया हिस्सा

अंजलि के जीवन में उस वक़्त एक बड़ा मोड़ आया जब उन्होंने एक ब्यूटी पैजेन्ट में हिस्सा लेने का फ़ैसला लिया। अंजलि को इस पैजेन्ट में हिस्सा लेने के रूप में वो मौक़ा मिला जिससे वो ख़ुद को साबित कर सकती थी। मिस एंड मिसेज दिवास इंडिया सीजन 4 में अंजलि का सिलेक्शन ऑनलाइन हुआ। इसके बाद फ़ाइनल प्रतियोगिता के लिए अंजलि ने दो महीने जी-तोड़ मेहनत की। अंजलि ने अपनी नौकरी, दो छोटे बच्चों को पालने के साथ-साथ ये सारी तैयारी की। अंजलि इस प्रतियोगिता में मिसेज क्लासिक कैटेगरी में विजेता रहीं। इस ब्यूटी पीजेंट शो में जूरी के लिए मिस यूनि वर्ल्ड व मिस अर्थ इंटरनेशनल बिनी भट्ट, फ़ैशन आइकॉन अनिल खोसला, ग्रू मिंग विशेषज्ञ नीलेस्वरी बसाक, फ़ैशन आइकॉन शरद कोहली, वरिष्ठ मीडियाकर्मी डॉक्टर राजा तालुकदार, मॉडल व मोटिवेशनल स्पीकर कृष्णा वर्मा जैसी जानी-मानी हस्तियां शामिल थी। मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली के विधायक सोमनाथ भारती मौजूद रहे।

अपने शहर में हुआ ज़बरदस्त स्वागत

अंजलि की जीत की ख़बर उनके शहर देवास पहुंची तो लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। घर-परिवार और मोहल्ला तो छोड़िये, ऐसा लगा मानो पूरा शहर ही इस जश्न में डूबा हो। अंजलि जब दिल्ली से ट्रेन के ज़रिये देवास पहुंची तो ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया गया। रेलवे स्टेशन से लेकर उनके घर तक लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।

एक नई उड़ान को तैयार अंजलि

अंजलि ने जीवन के चार दशक देख लेने के बाद एक नयी शुरुआत की है। सालों तक तनाव और परेशानियों को सहने के बाद अंजलि ने एक बार फ़िर हिम्मत दिखायी और आज अंजलि अपने फ़ैसलों से ख़ुश हैं और चाहती हैं कि ऐसी हर महिला, जिसने अपने साथी को खो दिया वो जीवन जीना ना छोड़े। आज अंजलि की प्राथमिकता अपने बच्चों की ख़ुशियों के साथ उनकी ख़ुद की ख़ुशियां भी हैं। अंजलि आने वाले वक़्त में विदेश में होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी हिस्सा लेने वाली हैं। इस प्रतियोगिता को जीतने के फ़ौरन बाद उन्हें एक शॉर्ट फ़िल्म में काम करने का ऑफ़र भी मिला है यानी अब उनके लिए एक नहीं कई दरवाज़े खुल रहे हैं। अंजलि को इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की ओर से बधाई।