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बंदे में है दम

उमा की उड़ान

उन्हें ऊंचाई पसंद है, उन्हें रफ़्तार पसंद है, उन्हें रोमांच पसंद है। वो हमेशा ख़ुद को साबित करने में जुटे रहते हैं। देश हो या विदेश, उनके हौसले का परचम हर जगह लहरा रहा है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट पर कहानी एक छोटे से गांव से निकलकर संघर्षों का पथ पार करने वाले इसी नौजवान की।

कश्मीर से कन्याकुमारी 63.5 घंटे में

इस नौजवान का नाम उमा सिंह है। केवल 26 साल के उमा ने हाल ही में एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसे लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। 15 जुलाई 2022 को श्रीनगर के लाल चौक से उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की जो 17 जुलाई की शाम कन्याकुमारी में पूरी हुई। उमा ने 3,629 किलोमीटर की इस यात्रा को बिना रूके 63.5 घंटे में पूरा किया। उमा की कश्मीर से कन्याकुमारी तक की इस यात्रा को लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स ने GPS से निगरानी की। उमा ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक 2018 में बनाया गया 75 घंटे का रिकॉर्ड तोड़ डाला। पिछला रिकॉर्ड नवी मुंबई के श्रीधर का था जिसे उमा ने 11 घंटे से ज़्यादा के बड़े अंतर से तोड़ा।

हालांकि इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए उमा को बहुत मशक्कत करनी पड़ी। क़रीब 6 महीने से उन्होंने कम सोने की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। लगातार बाइक चलाने का अभ्यास किया। इसके साथ ही इस यात्रा के लिए उन्हें फंड जुटाने में भी बहुत मुश्किल हुई। अपने दोस्तों से उधार लिया, गांववालों से चंदा लेकर पैसे जुटाए। यहां तक की अपने माउंटेनियरिंग के कई सामान भी बेच डाले। अपने इस अभियान की क़ामयाबी का श्रेय वो अपने कुछ मित्रों और जानकारों को देते हैं। इनमें अजीत सिंह, प्रशांत सिंह और जितेंद्र प्रताप सिंह का नाम वो बार-बार लेते हैं।

माउंटेनियरिंग है पहला प्यार

गोरखपुर के रहने वाले उमा एक साधारण परिवार से आते हैं। गोरखपुर से ही M.Com तक की पढ़ाई करने वाले उमा के पिता किसान हैं। पढ़ाई के दौरान ही उमा की दिलचस्पी हिमालय की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट की तरफ़ हो गई। बात 2018 की थी। उमा बताते हैं कि भूगोल के शिक्षक ने एवरेस्ट के बारे में ऐसा पढ़ाया कि उनका दिल और दिमाग एवरेस्ट पर ही टिक गया। उन्होंने ठान लिया कि अब वो एवरेस्ट पर चढ़ के ही रहेंगे। मजबूत इरादों के उमा ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी। पहाड़ चढ़ने की ट्रेनिंग की शुरुआत उन्होंने माउंट आबू के स्वामी विवेकानंद माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से की। जनवरी 2019 में उन्होंने बेसिक रॉक क्लाइंबिंग की ट्रेनिंग ली।

ट्रेनिंग के लिए नौकरी कर जुटाए पैसे

बेसिक ट्रेनिंग के बाद उमा को आगे बहुत सारी ट्रेनिंग की ज़रूरत थी और उसके लिए बहुत सारे पैसों की। उमा ने पैसों की इस दिक़्क़त को दूर करने के लिए नौकरी करनी शुरू कर दी। अपनी सैलरी से वो ट्रेनिंग के लिए पैसे जुटाने लगे।  इसके बाद अक्टूबर 2019 में उन्होंने बेसिक माउंटेनियरिंग का कोर्स किया। इसके बाद वो दार्जिलिंग चले गए। वहां हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से नवंबर में एडवांस रॉक क्लाइंबिंग कोर्स और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स पूरा किया। माउंटेनियरिंग की सारी ट्रेनिंग A ग्रेड से पास करने के बाद आज वो ख़ुद माउंट आबू के स्वामी विवेकानंद माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट में इंस्ट्रक्टर के तौर पर नौकरी कर रहे हैं।

कई चोटियों पर हासिल की जीत

पर्वतारोहण की ट्रेनिंग के बाद शुरू हुआ उमा का पहाड़ की चोटियों पर जीत का सिलसिला। एक के बाद एक कर उमा देश की ऊंची-ऊंची चोटियों पर अपना नाम लिखते गए। हिमाचल के माउंट शितिधार, सिक्किम के माउंट बीसी राय, नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप और काला पत्थर समेत कई शिखरों पर चढ़ाई पूरी की।

साइकिल यात्रा का सफ़र

पर्वतारोहण की ट्रेनिंग और उसके बाद कई चोटियों पर चढ़ाई के बाद उमा एवरेस्ट पर जाने के लिए बिल्कुल तैयार थे लेकिन एक बार फ़िर उनके आगे पैसों की दिक़्क़त आ गई। एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए कम से कम उन्हें 30 लाख रुपयों की ज़रूरत थी जो उनके पास नहीं थे। उन्होंने पैसे जुटाने की कोशिश की लेकिन रक़म बहुत ज़्यादा थी। आख़िरकार उन्हें अपना एवरेस्ट मिशन टालना पड़ा लेकिन वो रुके नहीं। उन्होंने अब साइकिल के हैंडल को थाम लिया। 30 नवंबर 2020 को उन्होंने लखनऊ से पूरे देश की साइकिल यात्रा शुरू कर दी। 73 दिन की इस यात्रा में उमा देश के सभी राज्यों की राजधानी तक पहुंचे।  उमा की ये यात्रा 12,271 किलोमीटर का सफ़र तय करते हुए 10 फ़रवरी 2021 को अरुणाचल प्रदेश में ख़त्म हुई। साइकिल से देश के सभी राज्यों की यात्रा करने वाले उमा पहले भारतीय हैं।

साइकिल से चूमीं पहाड़ की चोटियां

उमा ने ना केवल साइकिल से भारत के सभी राज्यों की यात्रा की बल्कि उन्होंने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर भी चढ़ाई की है। 15 अगस्त 2021 को उन्होंने अपनी साइकिल के साथ दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों में से एक माउंट किलिमंजारों पर पहुंचे। ख़ास बात ये है कि दुनिया में अब तक केवल 12-13 लोग ही साइकिल से इस चोटी को जीत पाए हैं। इस कारनामे को कर दिखाने वाले उमा पहले भारतीय हैं।

एवरेस्ट जीतना है सपना

हाल ही में उमा ने कश्मीर से कन्याकुमारी का मोटरसाइकिल से सफ़र रिकॉर्ड समय में पूरा किया है। देश भर में उनकी इस उपलब्धि की धूम है लेकिन उमा इस प्रसिद्धि से संतुष्ट नहीं हैं। उनका सपना एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने का है। वो एडवेंचर के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनके इस मिशन के लिए सरकार या कोई कंपनी मदद पहुंचाएगी ताकि वो इसे अंजाम तक पहुंचा सके। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट उमा सिंह को शुभकामनाएं देता है और उम्मीद करता है कि वो ना केवल एवरेस्ट फ़तह करें बल्कि और कई हैरतअंगेज़ कारनामे कर दिखाएं।