Home » जागो री जागो
धरती से

जागो री जागो

जागो री जागो… इस नारे के साथ जीवन बीता रहे हैं हमारे आज के नायक। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रहनेवाले चन्द्र प्रकाश दशकों से महिलाओं और बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने के अभियान में लगे हुए हैं। चन्द्र प्रकाश का मूल मंत्र है ‘अगर बेटियां साक्षर होंगी तो घर साक्षर होगा। अगर घर साक्षर होगा तो समाज साक्षर होगा।‘ वो बेटियों के ज़रिये समाज को बदलने के भगीरथ प्रयास में जुटे हैं। काम करने का जज़्बा ऐसा है जिसमें ना तो उम्र बाधा बन रही है ना साधन-संसाधन की कमी।

समाज में साक्षरता का प्रकाश फैलाते चंद्र प्रकाश

ये समाज इंसान को बहुत कुछ देता है। ये देश इंसान को बहुत कुछ देता है। लेकिन हममें से बहुत कम लोग ऐसे हैं जो अपने समाज, अपने देश का ये कर्ज़ चुकाने की कोशिश करते हैं। चन्द्र प्रकाश भी ऐसे ही एक इंसान हैं। वो इस समाज, इस देश के प्रति अपने कर्तव्यों को ना केवल समझते हैं बल्कि लंबे समय से उसे पूरा करने की कोशिश भी करते रहते हैं।

चंद्र प्रकाश, खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग में विकास अधिकारी के पद पर काम करते थे, अब सेवानिवृत यानी रिटायर हो चुके हैं। लेकिन अपनी नौकरी के दौरान ही शुरू की अपनी मुहिम से वो रिटायर नहीं हुए।

चंद्र प्रकाश समाज के उन लोगों के घरों की बच्चियों को साक्षर करने का अभियान चला रहे हैं जो ख़ुद साक्षर नहीं बन पाए, समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाए, कहीं पीछे रह गए। अपनी नौकरी के दौरान अलग-अलग जगहों पर काम करने के दौरान चंद्र प्रकाश ने इस बात को बहुत क़रीब से महसूस किया कि ऐसे लोगों के लिए कुछ काम करने की ज़रूरत है। इसी के बाद वो 1988 से इस मिशन में लग गए। बाराबंकी के बंकी ब्लॉक के मजीठा गांव को उन्होंने अपना कर्मक्षेत्र बनाया।

बच्चियों को शिक्षा की धारा से जोड़ा 
इस अभियान में बड़ा बदलाव तक आया जब 2013 में चंद्र प्रकाश जी ने ‘जागो री जागो’ की शुरुआत की। इसके तहत उन्होंने गांव के उन घरों की पड़ताल की जहां बच्चियां स्कूल नहीं जाती थीं। उन्होंने ऐसे अभिभावकों से संपर्क साधा, उन्हें पढ़ाई का महत्व समझाया। नतीज़ा ये हुआ कि लोग चंद्र प्रकाश जी की ये तपस्या, उनकी ये मेहनत रंग लाने लगी और लोग उनसे जुड़ने लगे। चन्द्र प्रकाशजी की संस्था हर साल 6 से 16 साल के बीच की 50 लड़कियों को आठवीं तक की शिक्षा पूरी करने का जिम्मा उठाती है। जिनका नाम कहीं स्कूल में नहीं लिखा होता है उनका नामांकन सरकारी स्कूल में कराया जाता है।

चंद्र प्रकाश इसके साथ ही इन बच्चियों को स्कूल के बाद रोज़ाना दो घंटे अनौपचारिक शिक्षा देने का कार्यक्रम भी चलाते हैं। इसमें वो उन बड़ी बच्चियों की मदद लेते हैं जो इन्हीं से जुड़ कर, पढ़ाई कर ऊंची कक्षाओं में पहुंच चुकी हैं। इन बच्चियों की मदद से गांव के लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक भी करते हैं। चंद्र प्रकाश बच्चियों को स्टेशनरी और पढ़ाई की दूसरी सामग्रियां भी मुहैया कराते हैं। लड़कियां किसी से पीछे ना रह जाए इसलिए कम्प्यूटर की क्लास भी लगाई जा रही है।

शिक्षा के साथ-साथ सेनेटाइजेशन का भी ज्ञान
चंद्र प्रकाश जी की सोच काफ़ी दूर की है। उन्होंने शुरू से ही बच्चियों को शिक्षा के साथ-साथ दूसरी ज़रूरी बातों की जानकारी भी देनी शुरू की जिनकी उन्हें सख़्त ज़रूरत थी। साफ़-सफ़ाई, माहवारी और सैनेटरी नैपकिन के प्रति जागरूक किया गया। बाराबंकी के गांवों में आज शायद ही कोई ऐसी बच्ची हो स्कूल ना जाती हो और ये सब चन्द्र प्रकाश जी की मेहनत का फल है।

शिक्षा को साइकिल से जोड़ा
चंद्र प्रकाश जी ने बच्चियों की पढ़ाई तो शुरू कर दी लेकिन समस्या एक और थी। वो ये कि गांव में बच्चियों के लिए हाईस्कूल नहीं था। उन्हें पढ़ाई के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। इससे उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा था। इसके बाद चंद्र प्रकाश जी ने साइकिल बैंक की शुरुआत कर डाली। इसमें बच्चियों को स्कूल जाने या किसी काम के लिए फ्री में साइकिल दी जाती है। इससे लड़कियों का स्कूल जाना आसान हो गया। चंद्र प्रकाश जी की इस लगन को देखकर लॉन एवं लॉज एसोसिएशन ने इन्हें साइकिल दान में दी है। अब तक इनके साइकिल बैंक में 24 साइकिल हो चुकी हैं।

शुरुआत से समर्थ बनाने की कोशिश
हमने आपको बताया कि चंद्र प्रकाश जी ने अपने इस अभियान की शुरुआत साल 1988 में ही कर दी थी। शुरुआत में वो गांव की महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग दिलवाया करते थे। उनका ये काम आज भी चल रहा है। अब तक 155 से ज़्यादा महिलाओं और युवतियों को प्रशिक्षण दिया गया है। आज ये महिलाएं सिलाई-कढ़ाई के अलावा फिनाइल, आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने जैसे काम कर रही हैं।
इस काम को आगे बढ़ाते हुए जागो-री-जागो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें साबुन, मसाले, सेनेटरी पैड आदि कम क़ीमत पर उपलब्ध करा रहा है। ये महिलाएं इन सामानों को घर-घर बेच कर अच्छी आमदनी हासिल कर रही हैं।

पेंशन से परोपकार का काम
चंद्र प्रकाश जी साल 2013 से बंकी ब्लॉक के मंजीठा गांव में बेटियों की शिक्षा को लेकर एक केंद्र का संचालन कर रहे हैं। ग्राम प्रधान और खंड विकास अधिकारी की मदद से उन्हें इस केंद्र के लिए एक भवन उपलब्ध कराया गया है। इसी भवन में एक स्टेशनरी बैंक बनाया गया है जिसमें बच्चियों के लिए कॉपी, किताबें, पेंसिल और दूसरी सामग्रियां उपलब्ध रहती हैं। शुरुआत में इसका पूरा ख़र्च चंद्र प्रकाश जी स्वंय उठाते थे। धीरे-धीरे गांव के भी कई लोग इसमें अपना योगदान देने लगे।

जागो-री-जागो का आनंदी प्रकल्प
चंद्र प्रकाश अपनी संस्था के ज़रिये हमेशा कुछ नया, कुछ बेहतर करने की कोशिश में लगे रहते हैं। इसी क्रम में उन्होंने आनंदी प्रकल्प की शुरुआत की। इसके तहत हर महीने के दूसरे शनिवार को संस्था की तरफ़ से ज़िला अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं के लिए फल और नवजात बच्चियों के बेबी किट दिये जाते हैं। इसके लिए उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से अनुमति भी ली है।

इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट चंद्र प्रकाश के जज़्बे और देशप्रेम का सम्मान करता है और उन्हें शुभकामनाएं देता हैं।